क्यों मनाई जाती है अनंत चतुदर्शी, क्या है अंनतसूत्र का महत्व
अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है. इसमें भगवान अनंत की पूजा की जाती है. इसमें व्रत का संकल्प लेकर अनंत सूत्र बांधा जाता है. माना जाता है कि इसको धारण करने से संकटों का नाश होता है.
भगवान कृष्ण की सलाह से पांडवों ने इसका पालन किया और सभी संकटों से मुक्त हुए. इसका पालन करने से और अनंत सूत्र बांधने से व्यक्ति की हर तरह के संकट से रक्षा होती है. साथ ही व्यक्ति का जीवन सुख समृद्धि से भर जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व 23 सितंबर को है.
अनंत चतुर्दशी के दिन किस किस तरह के लाभ हो सकते हैं?
- दरिद्रता का नाश होता है.
- दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य की समस्याओं से रक्षा होती है.
- विशेष मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- ग्रहों की बाधा से मुक्ति मिलती है.
- अनंतसूत्र बांधने से यह रक्षा कवच की तरह काम करता है.
क्या है अनंत चतुर्दशी व्रत का विधान?
- प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की स्थापना करें.
- उनके सामने चौदह गांठों से युक्त अनंतसूत्र रखें.
- "ॐ अनन्ताय नमः" के मंत्र जप के साथ भगवान विष्णु और अनंतसूत्र की पूजा करें.
- इसके बाद पुरुष इसको दाहिनी भुजा में और स्त्रियां बाईं भुजा में धारण करें.
- व्रत कथा सुनें और सुनाएं.
- संध्याकाल में भगवान विष्णु की पुनः पूजा करें.
- शाम को बिना नमक के मीठी चीज़ का सेवन करें.
अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन भी होता है क्या है इसका महत्व?
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.
- श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है.
- कुल मिलाकर ये नौ दिन गणेश नवरात्रि कहे जाते हैं.
- माना जाता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान पुनः कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं.
- स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं.
- कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.
गणेश जी की मूर्ति विसर्जन के समय क्या करें कि घर में सुख समृद्धि रहे?
- घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें.
- पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें.
- उसके बाद भगवान गणेश की विधिवत आरती करें.
- भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें.
अनंत चतुर्दशी की कथा
महाभारत की एक कथा के अनुसार जब कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। वहां उन्होंने बहुत कष्ट उठाए। ऐसे में जब एक दिन भगवान श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने वन आए तो युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट प्राप्त करने का क्या उपाय है। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें। इस पर युधिष्ठिर ने अनंत भगवान के बारे में जिज्ञासा प्रकट की तो कृष्ण जी ने कहा कि वह भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। इनके आदि और अंत का पता नहीं है इसीलिए ये अनंत कहलाते हैं। इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। तब युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और उन्हें पुन: हस्तिनापुर का राज-पाट प्राप्त हुआ।