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चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की पूजा के साथ, अपनी वाणी को अपने मन को अपने कर्मों को उत्तम बनाना ही शौच धर्म है


पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन आज उत्तम सत्य धर्म की पूजा होगी

उज्जैन। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के चौथे दिन सोमवार को जहां उत्तम शौच धर्म की पूजा हुई वही मंगलवार को उत्तम सत्य की पूजा होगी पर्वाधिराज पर्युषण पर्व इन दिनों दिगंबर जैन समाज में चल रहे हैं प्रत्येक दिन एक अलग धर्म की पूजा के साथ प्रवचन शांतिधारा अभिषेक एवं मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं उसी के अंतर्गत श्री महावीर तपोभूमि में मीना दीदी साधना दीदी इंदौर के सानिध्य में भव्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है व शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदक्षा श्री माताजी के सानिध्य में  जैन समाज के लोग 10 लक्षण धर्म की पूजा के साथ साथ ध्यान लाभ धर्म लाभ आदि लाभ उठा रहे है।
समाज के सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया कि आज सोमवार को विदक्षा श्री माताजी ने मैं प्रवचन में कहा कि  उत्तम शौच धर्म महान धर्म है और वहां अपनी ऐसी ही मुश्किलों को आसान करने के लिए हमारे मन में सरलता होना चाहिए, ईमानदारी होना चाहिए, हमारे भीतर उन्मुक्त ह्रादयता होनी चाहिए. और इतना ही नहीं हम स्पष्टवादी होवें, बहुत सीधा-सादा जीवन जीने का प्रयास करें, जितना बन सकें भोलापन लावें। बच्चों में भी होता है भोलापन, पर वह अज्ञानतापूर्वक होता है। लेकिन ज्ञान हासिल करने के बाद का भोलापन ज्यादा काम का होता है द्य निशंक होकर, बहुत सहज होकर, भोलेपन से जियें तो हमारा जीवन बहुत ऊँचा और बहुत अच्चा बन सकता है। जो मलिनताएँ हमारे भीतर हैं उन्हें कैसे हटायें और कैसे हम अपने जीवन को, अपनी वाणी को, अपने मन को, अपने कर्म को पवित्र बनाएं।
जो आतंरिक सुचिता या आतंरिक निर्मलता का भाव है वही शौच धर्म है। लोभ के अभाव में शुचिता आती है। हम लोभ के प्रकार देखते हैं पहला है वित्तेषणा यह है। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग के अध्यक्ष इंदरमल जैन, ललित जैन, महेंद्र लुहाडीया, तेज कुमार विनायका आदि सभी विशेष रूप से मौजूद थे।
धन कितना भी हो जाए मनुष्य की तृष्णा समाप्त नहीं होती है मीना दीदी
श्री महावीर तपोभूमि में मीना दीदी और साधना दीदी ने बताया कि मंगलवार को सत्य धर्म के साथ सभी का शक्कर बुरा रस का त्याग होगा साथ ही साथ मीना दीदी ने प्रवचन में कहा कि धन पैसे का लोभ। धन कितना ही बढ़ जाए कम ही मालुम होता है। धन का लोभ कभी रुकता नहीं है, बढ़ता ही चला जाता है।
दूसरा है पुत्रेषणा लोकेषणा  यह है अपने पुत्र और परिवार का लोभ।
तीसरा है समाज में अपनी प्रतिष्ठा का लोभ। यह तीन ही प्रकार के लोभ होते हैं , इन तीनों का लोभ हमें मलिन करता है। बस इन तीनों पे नियंत्रण पाना ही हमारे जीवन को बहुत निर्मल बना सकता है द्य लोभ की तासीर यही है की आशाएं बढ़ती हैं, आश्वासन मिलते हैं और हाथ कुछ भी नहीं आता द्य जो अपने पास है वह दिखने लगे तो सारा लोभ नियंत्रित हो जायेगा द्य व्यक्तिगत असंतोष, पारिवारिक असंतोष, सामाजिक असंतोष - कितने तरह के असंतोष हमें घेर लेते हैं द्य अगर हम समझ लें दूसरे के पास जो है वह उस में खुश है , और जो अपने पास है उस में हम आनंद लें तोह जीवन का अर्थ मिल जायेगा।
जीवन में निर्मलता के मायने हैं - जीवन का चमकीला होना। निर्मलता के मायने हैं मन का भीगा होना। निर्मलता के मायने हैं- जीवन का शुद्ध होना। निर्मलता के मायने हैं -जीवन का सारगर्भित होना। निर्मलता के मायने हैं - जीवन का निखालिस होना। इतने सारे मायने हैं पवित्रता के, निर्मलता के। जब मुझे मलिनतायें घेरें तो उनपे मियंत्रण रखना ज़रूरी है। हमारा मन जितना भीग जाता है उतना ही निर्मल हो जाता है।
अगर किसी की आँख भर जाए तो वह कमज़ोर माना जाता है। आज कोई रोने लगे तो बिलकुल बुद्धू माना जाए। 
आज अगर मन भीग जाए तो हम आउट ऑफ़ डेट माने जायें। बहुत कठोर हो गए हैं हम , हमारी निर्मलता हमारे कठोर मन से गायब हो गयी। जबकि हमारा मन इतना निर्मल होना चाहिए था की दूसरो के दुःख को, संसार के दुखों को देखकर द्रवित हो जाएँ उसमें डूब जाएँ द्यइसी तरह हमें जो प्राप्त है हम उसमें संतुष्ट होंगे और जो हमें प्राप्त नहीं है उसे पाने का शांतिपूर्वक सद्प्रयास करेंगे तोह हम जीवन में सदेव आगे बढ़ते जायेंगे।
तपोभूमि में अभिषेक एवं शांति धारा का लाभ रमेश मीना एकता, पियुष मनीषा जैन, रमेश मीना एकता एवं शांतिधारा कमल मोदी, राजेन्द्र लुहाड़िया, तेजकुमार स्नेहलता विनायका एवं शिविर के भोजन कराने का लाभ स्नेहलता श्रवण कुमार सोगानी को प्राप्त हुआ।
विशेष रूप से ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, धर्मेंद्र सेठी, हेमंत गंगवाल, वीरसेन जैन, संजय जैन, बालमुकुंद, इंदमल जैन, हंस कुमार जैन, सुशील गोधा, रमेश जैन, सारिका जैन, रूपेंद्र सेठी, चंदा बिलाला, मीना जैन, सलोचना सेठी, विकास सेठी, हितेश जैन एवं बाल कल्याण समिति की सदस्य विनीता कासलीवाल आदि कई लोग मौजूद थे।
पर्युषण के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म की पूजा होगी उत्तम सत्य के लिए शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदक्षा श्री माताजी एवं श्री महावीर तपोभूमि में विराजित मीना दीदी और साधना दीदी ने कहा कि सत्य धर्म की चर्चा जब भी चलती है,तब-तब प्रायरू सत्य वचन को ही सत्य धर्म समझ लिया जाता है। लेकिन सिर्फ सत्य वचन ही सत्य धर्म नहीं हैद्य आत्म वास्तु के त्रिकालिक सत्य स्वरुप के आश्रय से उत्पन्न होने वाला वीतराग परिणिति रूप ही उत्तम सत्य धर्म है।
फैले प्रेम परस्पर जग में मोह दूर पर रहा करे। 
अप्रिय, कटुक, कठोर, शब्द नहीं कोई मुख से कहा करे।। 
नहीं सताऊँ किसी जीव को झूठ कभी नहीं कहा करूँ
मनुष्य को हरदम सत्य धर्म का आचरण करना चाहिए एवं सत्य बोलना चाहिए क्रोध, लोभ, भय और हँसी-मजाक आदि के कारण ही झूठ बोला जाता है। जहाँ न झूठ बोला जाता है, न ही झूठा व्यवहार किया जाता है वही लोकहित का साधक सत्यधर्म होता है। 
हमें कठोर, कर्कश, मर्मभेदी वचनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जब भी बोलें हित मित प्रिय वचनों का प्रयोग अपने व्यवहार में लाना चाहिए तथा कहा भी गया है- ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय। औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होय।। कठोर वचन सत्य की श्रेणी में नहीं आते। सत्य का संबंध तो अहिंसा से है।
सचिन कासलीवाल ने बताया कि बुधवार को सुगंध दशमी का पर्व मनाया जाएगा। दशमी के दिन खास तौर पर सभी मंदिरों में विशेष साज सज्जा के साथ आकर्षक मंडल विधान सजाएं जाते हैं तथा धर्म पर आधारित मनोहारी झांकियों का निर्माण मंदिर परिसरों में किया जाता है। मंदिरों को स्वर्ण व रजत उपकरणों से सजाया जाएगा।

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