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पर्युषण के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी, उत्तम मार्दव धर्म से की दूसरे दिन की पूजा


 

उज्जैन। दिगंबर जैन समाज के मंदिरों में अभिषेक शांतिधारा पूजा पाठ एवं 10 लक्षण धर्म की पूजा हो रही है। शनिवार को उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हुई। आज रविवार को उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी। शहर के प्रमुख 16 ही मंदिरों में पूजा-पाठ अभिषेक के साथ अनेक कार्यक्रम, प्रवचन व कई मंदिरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
समाज सचिव सचिन कासलीवाल के अनुसार दिगंबर जैन समाज में इन दिनों पर्वाधिराज पर्युषण पर्व प्रारंभ हो चुके हैं जो 23 सितंबर 2018 तक चलेंगे। प्रत्येक दिन एक अलग धर्म की पूजा को ही दिगंबर जैन समाज में दशलक्षण धर्म की पूजा कहा जाता है विगत 2 दिनों में सर्वप्रथम शुक्रवार को उत्तम क्षमा धर्म तो शनिवार को उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हुई एवं आज रविवार को उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी। श्री महावीर तपोभूमि में इंदौर से आई मीना दीदी और साधना दीदी ने बताया कि मार्दव धर्म क्या होता है हमें हरदम उत्तम मार्दव धर्म में रहना चाहिए अहंकार कभी नहीं करना चाहिए अहंकार से मनुष्य का सर्वार्थ हानी होती है अहंकार में मनुष्य सब भूल जाता है और अपने आप को बर्बादी की ओर ले जाता है और मीना दीदी ने आज संपूर्ण शिविरार्थियों को स्वर ज्ञान के बारे में बताया और जीवन में सांसो का महत्व क्या होता है यह भी समझाया और कहा कि जब तक मनुष्य में सांस है जब तक ही वह जीवित है सांस नहीं तो कुछ नहीं। श्री 1008 कलिकुण्ड पार्श्वनाथ भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य अशोक जैन चाय वाले एवं शिविर में विराजमान जिनालय के 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान के प्रथम कलश करने का सौभाग्य अशोक जैन चाय वाले एवं शांतिधारा का सोभाग्य बसन्त लाल गिरीश बिलाला एवं श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान की ग्यारह शांतिधारा शांतिधारा का सोभाग्य निर्मल सेठी, सजंय बड़जात्या, सुरेश कासलीवाल, विकास सेठी सचीन कासलीवाल, सुशील गोधा, हेमन्त गगवाल, राकेश जैन, पलाश लुहाड़िया, हितेश जैन सुनील ट्रांसपोर्ट, कमल यतीन्द्र मोदी एवं शिविर के भोजन कराने का लाभ स्नेहलता श्रवण सोगानी को प्राप्त हुआ एवं शिविरार्थियों की सेवा करने का लाभ बाल कल्याण समिति सदस्य विनीता कासलीवाल अवंति महिला परिषद एवं प्रज्ञा कला मंच की महिलाओं का था।
उत्तम मार्दव धर्म दूसरा बड़ा धर्म है विदक्षा श्री माताजी 
शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में माताजी के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की पूजा के साथ दोपहर में तत्वार्थ सूत्र की कक्षा एवं शाम को ध्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। माताजी ने उत्तम मार्दव धर्म को समझाते हुए कहा कि उत्तम क्षमा के बाद दूसरा धर्म मार्दव धर्म ही होता है यदि इंसान ने मार्दव धर्म की मर्यादा का पालन कर लिया तो वही व्यक्ति दुनिया का महान व्यक्ति बन जाएगा धर्म मनुष्य को जीने की कला सिखाता है धर्म के मार्ग पर चलकर ही मनुष्य का भला हो सकता है प्रवचन के पूर्व माता जी को श्रीफल भेंट किया गया। जिसमें प्रमुख रुप से ट्रस्ट के अध्यक्ष इंदचंद जैन, महेंद्र काका लुहाड़िया, तेज कुमार विनायक आदि कई लोग मौजूद थे।
पर्युषण के तीसरे दिन 
रविवार को उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी एवं इस दिन लोग नमक रस का त्याग करेंगे। पर्युषण पर्व के तीसरे दिन  आज 16 सितंबर रविवार को उत्तम आर्जव धर्म के लिए शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में विदक्षा श्री व श्री महावीर तपोभूमि में मीना दीदी साधना दीदी बताया कि
कपट ना कीजे कोय, चोरन के पुर ना बसैं ।
सरल सुभावी होय, ताके घर बहु सम्पदा ॥
उत्तम आर्जव रीति बखानी, रन्चक दगा बहुत दुखदानी ।
मन में हो सो वचन उचरिये, वचन होय सो तन सो करिये ॥
करिये सरल तिंहु जोग अपने, देख निरमल आरसी ।
मुख करे जैसा लखे तैसा, कपट प्रीति अन्गारसी ॥
नहीं लहे लछमी अधिक छल करि, करम बन्ध विशेषता ।
भय त्यागि दूध बिलाव पीवै, आपदा नहीं देखता ॥
उत्तम आर्जव धर्मं 
आर्जव स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में छल-कपट मायाचार के भाव रूप शांति-स्वरुप जो पर्याय प्रकट होती है उसे आर्जव कहतें हैंद्य वैसे तो आत्मा आर्जव स्वभावी है पर अनादी से आत्मा में आर्जव के अभाव रूप माया कषाय रूप पर्याय ही प्रकट रूप से विद्यमान है।
आर्जव धर्म - 
जीवन में उलझनें दिखावे और आडम्बर की वजह से हैं . हमारी कमजोरियां जो मजबूरी की तरह हमारे जीवन में शामिल हो गयी हैं , उनको अगर हम रोज़ -रोज़ देखते रहे और उन्हें हटाने की भावना भाते रहे तो बहुत आसानी से इन चीज़ों को अपने जीवन में घटा बढा सकते हैं। हमारे जीवन का प्रभाव आसपास के वातावरण पे भी पड़ता है। जब हमारे अंदर कठोरता आती है तो आसपास का परिवेश भी दूषित होता है . इसीलिए इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए की हमारे व्यव्हार से किसी को कष्ट न हो।
दुसरे के साथ हम रूखा व्यव्हार करेंगे, दुसरे के साथ छल -कपट करेंगे , धोखा देंगे और इसमें आनंद मानेंगे तो हमारी विश्वसनीयता और प्रमाणिकता दोनों ही धीरे -धीरे करके ख़तम हो जायेगी . वर्तमान में ये ही हो रहा है . हम कृत्रिम हो गए हैं ,दिखावा करने लगे हैं जिससे लोगों के मन में हमारे प्रति विश्वास नहीं रहा ,एक -दुसरे के प्रति संदेह ज्यादा हो गया , यहाँ तक की परिवार में भी एक -दुसरे के प्रति स्नेह ज्यादा है -विश्वास कम है . लेकिन रिश्ते तो सब विश्वास से चलते हैं . रिश्ता चाहे भगवान् से हो या संसार के व्यक्तियों से या वस्तुओं से , सभी विश्वास और श्रध्दा के बल पे ही हैं . यदि हम श्रध्दा और विश्वास बनाये रखना चाहते हैं तो हमारा फ़र्ज़ है की हम आडम्बर से बचें , अपने मन को सरल बनाने की कोशिश करें।
सरलता के मायने हैं - इमानदारी ,सरलता के मायने हैं - स्पष्टवादिता ,सरलता के मायने हैं - उन्मुक्त ह्रदय होना , सरलता के मायने हैं - सादगी , सरलता के मायने हैं - भोलापन , संवेदनशीलता और निष्कपटता .
कबीरा आप ठगाइए ,और न ठगिये कोए
आप ठगाए सुख उपजे ,पर ठगिये दुःख होए 
कोई अपने को ठग ले तो कोई हर्ज़ नहीं पर इस बात का संतोष तो रहेगा की मैंने तो किसी को धोका नहीं दिया . एक बार धोका देना ,या छल -कपट करने का परिणाम हमें सिर्फ इस जीवन में नहीं बल्कि आगे आने वाले कई भवों तक भोगना पड़ेगा 
एक बार हम धोखा दे देते हैं तो हमारी इमानदारी पर संदेह होने लगता है ,इसलिए सरलता वही है जिसमें हम इमानदार रहते हैं , दूसरों के साथ छल नहीं करते , विश्वास और प्रमाणिकता बनाये रखते हैं . हम कहीं भी हो ,हमारा ह्रदय उन्मुक्त रहना चाहिए

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