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जीवन के कष्‍टों से पार पाने इस प्रकार मिलेगी भोलेनाथ की कृपा



प्रदोष व्रत महीने में दो बार होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत एक बार शुक्‍ल पक्ष और दूसरी बार कृष्‍ण पक्ष में आता है। इस व्रत में भगवान शिव जी की पूजा करने से सभी पापो का नाश होता है। 

इस व्रत को वार के अनुसार करने से ज्‍यादा लाभ मिलता है। जिस वार को यह व्रत पड़ता है उसी अनुसार कथा पढ़ने से फल भी प्राप्‍त होते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शिव जी की पूजा का सही समय शाम का है, जब मंदिरों में प्रदोषम मंत्र का जाप किया जाता है। 

यदि प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है तो इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्‍ती होगी। प्रदोष व्रत का महत्व: यदि व्‍यक्‍ति को सभी प्रकार की पूजा पाठ और व्रत करने के बाद भी सुख शांति और खुशी नहीं मिल पा रही है तो उस व्‍यक्‍ति को हर माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर जप, दान, व्रत आदि करने से पूरा फल मिलता है। यदि व्‍यक्‍ति चंद्रमा के कारण परेशान है तो उसे वर्ष भर के सारे प्रदोष व्रत करने चाहिये। 

प्रदोष व्रत पर उपवास करें, लोहा, तिल, काली उड़द, शकरकंद, मूली, कंबल, जूता और कोयला आदि चीजों का दान करें, जिससे शनि परेशान न कर सके। शनि खराब चलने से व्‍यक्‍ति को रोग, दरिद्रता और परेशानी आदि घेर लेती है। यदि प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रतके रूप में आया है तो इस दिन शिवजी, हनुमान और भैरव की पूजा करनी चाहिये। 

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