संतान की दीर्घायु और मंगल कामना के लिए महिलाऐं रखती है हलछठ व्रत
संतान के दीर्घायु व कुटुंब की सुख समृद्धि की कामना के साथ शनिवार (1 सितंबर) को महिलाएं व्रत रखेंगी और हलछठ पूजा करेंगी। ऐसे में हलछठ पूजा की तैयारियों के तहत बाजारों में महिलाएं बड़ी संख्या में पूजन सामग्री खरीदने पहुंच रही हैं।
मां चामुंडा दरबार के पुजारी पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि वर्तमान में संवत्सर के मंत्री शनि हैं। शनिवार को रवियोग, त्रिपुष्कर योग में हलछठ व्रत मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को हलछठ (हरषष्ठी) की पूजा करेंगी। साथ ही कथा सुनकर शाम को वे बिना ऐसे अनाज को ग्रहण करेंगी जो बिना हल चले पैदा हुआ है। गौरतलब है कि हलषष्ठी में हल का उपयोग किए बिना उपजे अन्न व उ फलों का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही लाई, मिट्टी के चुकिया, खेम के मेड़ में उगे कांसी के फूल का उपयोग भी किया जाता है।
पं. दुबे ने हलछट पूजा में भगवान शिव व माता पर्वती की मूर्ति बनाकर पूजा महिलाओं द्वारा की जाती है। पूजा आदि में केवल भैंस के दूध का उपयोग करने की परंपरा है। इस दिन भैंस के दूध से बनेघी और दही का उपयोग पूजन आदि में किया जाता है। इस पर्व पर महुवा, आम, पलास की पत्ती, कांसी के फूल, नारियल, मिठाई, रोली-अक्षत, फल, फूल सहित अन्य पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजन करने का विधान है। शास्त्रों में संतान की रक्षा के लिए माताओं द्वारा यह व्रत करना श्रेष्ठ बताया गया है।