इस बार दो दिन की होगी जन्माष्टमी, वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र आये साथ
इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी। स्मार्त मतानुसार 2 सितंबर और वैष्णव मतानुसार 3 सितंबर को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 2 सितंबर को द्वापर युग के दौरान श्रीकृष्ण जन्म जैसा संयोग बन रहा है। मध्यरात्रि रात 12 बजे अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न का संयोग रहेगा।
भाद्रपद की अष्टमी तिथि 2 सितंबर (रविवार) को रात 8.46 से अगले दिन 3 सितंबर (सोमवार) शाम 7.19 बजे तक रहेगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र रविवार रात 8.48 से सोमवार रात 8.03 बजे तक रहेगा। रविवार रात 10.36 से रात 12.35 बजे तक वृषभ लग्न रहेगा। ज्योतिर्विद् पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि, वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 2 सितंबर को यह संयोग बनने से जयंती योग बन रहा है।
इस दिन निशिता पूजा का समय रात 12.03 से 12.48 बजे तक रहेगा। 2015 में स्मार्त और वैष्णव मत वालों ने एक ही दिन जन्माष्टमी मनाई थी। 3 सितंबर को रात 8 बजे तक अमृतसिद्धि योग रहेगा। ज्योतिर्विद् पं. ओम वशिष्ठ के मुताबिक वैष्णव मत में उदया तिथि के मान से त्योहार मनाया जाता है। उदया तिथि में अष्टमी 3 सितंबर को है, इसलिए वैष्णव मत वाले इस दिन पर्व मनाएंगे। स्मार्त मत में जिस दिन अष्टमी तिथि मध्यरात्रि में होती है, उस दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है। वहीं वैष्णव मत में उदया तिथि में नक्षत्र और और लग्न देखा जाता है।