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बजेंगी कुवांरे भाईयों की शहनाई, बहन इस तरह बॉंधे राखी



 राखी का पर्व बहन-भाइयों में प्यार बढ़ाने वाला पर्व है। इस पर्व पर निभाई जाने वाली रस्में भी कुछ ऐसी होती हैं कि बहन अपने भाइयों के लिए जीवनसाथी चुनने में भी मदद करती हैं। माना जाता है कि कुछ ऐसी राखियां भी होती हैं जो कुंवारे भाइयों के लिए बहुत अनमोल होती हैं। बहने अपने कुंवारे भाइयों की जल्द शादी कराने की मन्नत लेकर यह राखी बांधती हैं।

ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ प्राकृतिक राखियों का चलन चल रहा है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार भी राखियों का बहुत महत्व है। इनमें सुपारी की राखी, पीले कपड़े में हल्दी के भगवान गणेश बनाकर राखी के रूप में बांधना भाई के जीवन में बदलाव लाने वाली होती हैं। जो बहनें अपने कुंवारे भाई को पीले कपड़े में हल्दी के भगवान गणेश की राखी बांधती हैं, उन कुंवारे भाइयों की शादी जल्द हो जाती है। इसके अलावा चांदी-सोने की राखी भी बांधी जाती हैं। इसके बाद भाई अपनी कमाई के हिस्से में से बहन को सम्मानस्वरूप भेंट देता है। बहन अगर बड़ी है तो चरण छूकर और छोटी है तो गले लगाकर सम्मान करता है। यही भारतीय संस्कृति और परंपरा रही है।

ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार रक्षाबंधन के दिन राहुलकाल में राखी नहीं बांधी जाती है। इस समय अवधि के अलावा किसी भी शुभ मुहूर्त समय राखी बांधी जा सकती है।

रक्षाबंधन के दिन इस बार राजयोग भी बन रहा है। राजयोग में राखी बांधने पर बहनों का सौभाग्य और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, इससे भाई का भाग्य चमकता है।

 

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