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मनुष्‍य के समस्‍त पापों का नाश करता है कामिका एकादशी का व्रत


सावन के पावन महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। वेदों में इसे बहुत पुण्यदायी बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने खुद इस दिन व्रत करने के महत्व के बारे में युधिष्ठिर से कहा है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप दूर हो जाते हैं। एकादशी के सभी व्रतों में से इसको भगवान विष्णु का सबसे अच्छा व्रत माना जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 7 अगस्त को है।

शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में भगवान नारायण की पूजा करने से सभी देवता, गन्धर्वो और नागों की पूजा हो जाती है। कामिका एकादशी का व्रत करने वाले के सारे बिगड़े काम बन जाते है। 

पौराणिक कथा के अनुसार कामकी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर के बताया है। भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो फल वाजपेय यज्ञ करने से प्राप्त होता है वही फल कामिका एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है।

कामिका एकादशी की कथा
प्राचीन काल में एक गांव में एक ठाकुर जी रहते थे। ठाकुर जी का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। बाद में उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा। अपराध की क्षमा याचना के लिए ठाकुर ने ब्राह्मण का क्रिया कर्म करना चाहा। परन्तु पंडितों ने क्रिया कर्म में शामिल होने से मना कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया। तब ठाकुर ने एक मुनि से निवेदन किया कि हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है।

इस पर मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने नियम पूर्वक एकादशी का व्रत किया। रात में भगवान की मूर्ति के पास जब वह सो रहा था, तभी उसे सपने में भगवान के दर्शन हुए। भगवान ने कहा कि मैंने तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया है। इस तरह ठाकुर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो गया।

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