असफलता के अंधेरे के पीछे छिपा है सफलता को सूरज
सिध्द चक्र मंडल की धर्मोपदेश पीठ से बोले विधानाचार्य त्रिलोकजी
उज्जैन। असफलता के अंधेरे के पीछे ही छिपा रहता है सफलता का सूरज। सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती की कि आपके पास शक्ति का भंडार कितना है। सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप प्राप्त शक्ति का उपयोग कैसे करते हैं। अतः जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए अपनी शक्ति को पहचान कर दुरूपयोग से बचते हुए शक्ति का श्रेष्ठतम सदुपयोग ही अनिवार्य है।
उक्त बात अतिशय क्षेत्र श्री नेमीनाथ दिगंबर जैन मंदिर जयसिंहपुरा में चल रहे सिध्द चक्र मंडल की धर्मोपदेश पीठ से विधानाचार्य ब्रह्चारी त्रिलोकजी ने इंद्र इंद्राणियों को संबोधित करते हुए कही। त्रिलोकजी ने कहा नेमीधाम में आयोजित सिध्द चक्र की महक चारों ओर फैल रही है। इसका श्रेय राजमल संचोरा परिवार द्वारा अपनी शक्ति का श्रेष्ठतम सदुपयोग एवं शैलेन्द्र जैन का कुशल प्रबंधन है। प्रवक्ता अनिल गंगवाल के अनुसार इंद्र इंद्राणियों ने 32 अर्घो से सिध्द चक्र पूजन की। मंगलाचरण प्रकाश शास्त्री जयपुर ने किया। मंगल आरती में प्रशांत जबलपुर ने समा बांधा।