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सफलता में अहंकार का उद्घोष, विफलता में घुटन का अनुभव करता है व्यक्ति



अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ पर बोले गच्छाधिपति आचार्य श्री मणिप्रभ सूरीश्वरजी
उज्जैन। जीवन की गाड़ी सफलता और विफलता दोनों पटरियों पर गुजरती है, जीवन में सदा सफलता नहीं मिलती तो सदा विफलता भी नहीं मिलती। सफलता मिलने पर व्यक्ति अपने अहंकार का उद्घोष करता है और विफलता मिलने पर भीतर ही भीतर घुटना, उदास होना व आरोप लगाने की दशा का अनुभव करना शुरू हो जाता है। व्यक्ति में सकारात्मक चिंतन का विकास जरूरी है। उसके अभाव में व्यक्ति अवसादग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। 

उक्त बात श्री अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ के प्रांगण में गच्छाधिपति आचार्य श्री मणिप्रभ सूरीश्वरजी ने अपने प्रवचन में कही। आचार्य श्री ने प्रवचन के बाद प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के उपाध्यक्ष के रूप में पुखराज चोपड़ा को एवं प्रचार प्रसार हेतु जिनेश्वर युवा परिषद के साथ अभय जैन भैया को मनोनीत करने की घोषणा की। आचार्य श्री का विहार इंदौर की ओर दोपहर में हुआ। आचार्यश्री लगभग 19 जुलाई को इंदौर पहुंचेंगे। 22 जुलाई को आपका चातुर्मासिक प्रवेश महावीर बाग एरोड्रम रोड इंदौर पर होगा। जिनेश्वर युवा परिषद के तरुण डागा ने बताया कि इंदौर चातुर्मास प्रवेश पर अधिक से अधिक संख्या में सकल श्रीसंघ पधारने की विनती ट्रस्ट के अध्यक्ष हीराचंद छाजेड़, सचिव चंद्रशेखर डागा, निर्मल सकलेचा, परिषद के मनोज कोचर, रितेश जैन, अशोक कोठारी, दिलीप चोपड़ा आदि ने की है।

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