निसंतानता से मुक्ति पाने करें ये अचूक व्रत
अगर जातक संतानहीनता की मार से गुजर रहा हो और और सभी कोशिशों के बाद भी संतान के योग नहीं बन पा रहे हों तो केवल एक ही उपाय है। इस खास देव की पूजा-आराधना करके यदि व्रत रखा जाए तो केवल 3 महीनों में ही फल मिल जाएगा और योग्य संतान आपके आंगन में खेलने लगेगी।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिये प्रदोष व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। यह व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। प्रदोष व्रत से कई दोष की मुक्ति और संकटों का निवारण होता है।
कहते हैं कि प्रदोष व्रत जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं। मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। प्रदोष व्रत अत्यंत फलकारी होता है। संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत किया जाता है।
ग्रंथों के अनुसार केवल तीन महीनों से महादेव के इस व्रत को पूरी शिददत के साथ करने से संतान सुख के योग बनने लगते हैं और सौभाग्य व प्रतिष्ठा में भी बढ़ोत्तरी होती है। प्रदोष व्रत के दिन सूर्य उदय से पूर्व उठकर हो सके तो गंगा स्नान या फिर किसी नदी में स्नान करना चाहिये। अन्यथा घर में ही स्नान करके भगवान शिव की उपासना करना चाहिये।
व्रत में सिर्फ फलाहार करना चाहिये। इसके बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किया जाता है। ईशान कोण की दिशा में प्रदोष व्रत की पूजा ज्यादा फलदायी होता है। पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है।
प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिये कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार पूजन क्रिया की तैयारियां कर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।