क्यों खास है ज्येष्ठ अमावस्या, इस दिन किये शनि के उपाय दिलाते है शनिदोष से मुक्ति
दरअसल ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय प्रिय ग्रह शनि देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन शनिदोष निवारण के उपाय विद्वान ज्योतिषाचार्यों के करवा सकते हैं। इस कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिये उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है।
ज्येष्ठ अमावस्या व्रत व पूजा विधि
ज्येष्ठ अमावस्या को वैसे तो स्त्रियां वट सावित्री का व्रत रखती हैं लेकिन इस दिन स्त्री पुरुष दोनों ही उपवास रख सकते हैं। इसके लिये प्रात:काल उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर धार्मिक तीर्थ स्थलों, पवित्र नदियों, सरोवर में स्नान करने की मान्यता है। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के पश्चात सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करने चाहिये। इसके पश्चात पीपल वृक्ष में जल का अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही शनि देव की पूजा भी की जाती है। जिसमें शनि चालीसा सहित शनि मंत्र का जाप भी आप कर सकते हैं। वट सावित्री व्रत रखने वाली स्त्रियां इस दिन यम देवता की पूजा करती हैं। पूजा के पश्चात सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिये।
2018 में कब है ज्येष्ठ अधिक अमावस्या
2018 में ज्येष्ठ मास में ही अधिक मास का आरंभ भी हो रहा है इस कारण ज्येष्ठ मास में 2 अमावस्या व 2 पूर्णिमा सहित 4 एकादशियां होंगी। धर्म कर्म, स्नान-दान आदि के लिहाज से यह बहुत ही शुभ व सौभाग्यशाली मास है। ज्येष्ठ मास की प्रथम अमावस्या 15 मई को मंगलवार के दिन थी। इस दिन को शनि जयंती के रूप में भी मनाया गया था। ज्येष्ठ मास की अधिक अमावस्या 13 जून 2018 को है।