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भगवान शिव भी सुनते हैं संत से श्रीराम कथा



उज्जैन। जिस रामकथा के रचियता भगवान शिव को माना जाता है वे शिव स्वयं
रामकथा को संत यानी अगस्त्य ऋषि से सुनते हैं। अत्यंत विश्वास के सााि
कथा सुनने के परिणाम स्वरूप उन्हें भगवान राम का दर्शन होता है। शिव के
साथ ही नास्तिकता की प्रतिमूर्ति सती भी कथा सुनती है किंतु संत एवं कथा
में विश्वास नहीं होने से वे भगवान को भी भगवान स्वीकार नहीं कर पातीं।
परिणामतः सती को देह तयाग कर प्रायश्चित करना पड़ता है।
उक्त उद्गार रामकथा एवं स्वस्तिक मर्मज्ञ परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने
अवधेशधाम में 4 से 7 बजे तक चलने वाली श्रीराम कथा एवं स्वस्तिक प्रवचन
समारोह में व्यक्त किये। कथा में क्षेत्रीय श्रध्दालुओं के साथ मिलकर नगर
के विभिन्न सामाजिक संगठन भी पहुंच रहे हैं। कथा में आशा फाउंडेशन की
प्रमुख आशा तोमर, पं. वासुदेव शास्त्री, भगवान शर्मा, मुकेश पाटीदार,
शिवसिंह कुशवाह, महाराणा प्रताप शाख संस्था मर्यादित से राजेन्द्रसिंह
चौहान, राहुल सिंह चौहान, उषा कुशवाह, अशोकसिंह तोमर, रतनसिंह भदौरिया,
हेमंत कुंवर राठौर आदि ने आरती की।

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