भारत के इस गॉंव में उल्टी दिशा में घूमती है घड़ी
दुनिया की सारी घडिय़ां एक ही दिशा में घूमती हैं। हमसभी ने सभी घडिय़ों की सुईंयां बाई से दाई और घूमते हुए देखा है। लेकिन आज हम आपको भारत के उस गांव के बारे में जानकारी दे रहें हैं, जहां घडिय़ां उल्टी दिशा में घूमती हैं। जी हां, आप शायद इस बात पर यकीन ना करें लेकिन यह सच है।
छत्तीसगढ़ के कोरबा के एक स्थान पर घडिय़ां उल्टी दिशा में घूमने लगती हैं। यह कोरबा के पास ही स्थित आदिवासी शक्ति पीठ से जुड़ा एक स्थान है।
यहां के निवासी गोंड आदिवासी परिवारों के घरों में यदि आप देखेंगे तो सभी के घरों में घडिय़ों को उल्टी दिशा में चलता पाएंगे। यह आज की बात नहीं है बल्कि ये लोग बहुत पुराने समय से एंटी क्लॉकवाइज दिशा में चलने वाली घडिय़ों का ही उपयोग करते आ रहें हैं।
प्रकृति तथा घड़ी में है समानता...
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी घड़ी प्रकृति की तरह सामान्य तरह से गति करती है। ये लोग बताते हैं कि पृथ्वी भी घड़ी से उल्टी दिशा यानि दाई से बाई और घूमती है। इसके अलावा पेड़ो पर चढऩे वाली बेल भी इसी दिशा में पेड़ पर आगे बढ़ती है।
सूर्य चंद्रमा भी इसी दिशा में गति करते हैं तथा तालाब के ऊपर उडऩे वाले भवरों की भी यही दिशा होती है। ये लोग कहते हैं कि विवाह के समय फेरे भी लोग दाई से बाई और लेते हैं। इस प्रकार से इनका मानना है कि इनकी घड़ी सही दिशा में चलती है लेकिन दुनिया की सभी घडिय़ां प्रकृति से विपरीत दिशा में गति कर रही हैं।
ये लोग प्रकृति को अपना देवता मानते हैं। इनका मानना है कि ये लोग प्रकृति से विपरीत दिशा में गति नहीं कर सकते हैं। महुआ तथा परसा जैसे पेड़ों का ये लोग पूजन करते हैं। आपको बता दें कि इस क्षेत्र में करीब 10 हजार परिवार हैं और ये लोग एंटी क्लॉकवाइज दिशा में चलने वाली घडिय़ों का ही प्रयोग करते हैं। यहां के आदिवासी समाज से करीब 32 अन्य समुदाय भी जुड़े हुए हैं और ये सभी लोग उल्टी दिशा में चलने वाली घडिय़ों का प्रयोग करते हैं।