चॉंद के दीदार के साथ होगी रमजान के पाक महीने की शुरुआत
लखनऊ। रमज़ान की शुरुआत गुरुवार को होगी। बुधवार को शिया मरकज़ी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास और मरकज़ी चांद कमेटी (सुन्नी) के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने इसका ऐलान किया। काज़ी ए शहर मुफ़्ती इरफान मिया ने बुधवार को रमज़ान का चांद होने का अभी तक ऐलान नही किया है।
ज्ञात हो कि इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना है रमजान। रोजे चांद दिखने से शुरू होते हैं। जिस शाम को चांद दिखाई देता है। उसकी अगली सुबह से रोजे शुरू हो जाते हैं। पहले बताया जा रहा था कि गुरुवार को (17मई) को चांद दिखेगा और अगले दिन यानी 18 मई को पहला रोजा रखा जाएगा।
रमजान के महीने में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा रखा जाता है। इस दौरान कुछ खाया-पिया नहीं जाता है। पूरे महीने रात में विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तराबी कहते हैं। अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इस महीने के गुजरने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फित्र मनाते हैं।
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। रोजे को अरबी भाषा में सोम कहा जाता है। इसका मतलब होता है रुकना। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं। भारत के मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव अधिक होने के कारण उपवास को फारसी शब्द ही उपयोग किया जाता है। रोजा रखने के हैं ये सख्त नियम
रोजे रखने वाले मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी नहीं खाते। सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है, मतलब सुबह का फजर की अजान से पहले खा सकते हैं। रोजेदार सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते और सूरज अस्त होने के बाद इफ्तार करते हैं। इफ्तार में रोजा खोला जाता है। रमजान के पवित्र माह में पांच बार की नमाज और कुरान पढ़ी जाती है। बदनामी करना, लालच करना, झूठ बोलना, पीठ पीछे बुराई करना और झूठी कसम खाने से रोजा टूट जाता है।