राम भजन से विपरीत स्वभाव के जीव भी एक साथ प्रेम से रहते हैं- पं. सुलभ शांतुगुरू महाराज
उज्जैप। परिवार में अनुकूलन बनाना है तो राम भजन करें, राम भजन सब कष्ट व कलेश समाप्त कर देता है। शिव परिवार इसका उदाहरण है। शिव का आभूषण सर्प, बिच्छू हैं। गणेश मूषक पर सवार हैं, मूषक सर्प का आहार है। ऐसे ही कार्तिक मोर पर सवार है। मोर का आहार सर्प है पर यह सब विपरीत स्वभाव के राम भजन से परस्पर प्रेम के साथ एक साथ रहते हैं।
उक्त बात चिंतामण रोड़ स्थित राष्ट्र भारती शिक्षण संस्थान में शनिवार से प्रारंभ हुई 9 दिवसीय श्रीराम कथा के प्रथम दिन श्रीराम कथा के सरस गायक प.पू. सुलभ शांतुगुरू महाराज ने कही। प्रथम दिवस के कथा के मुख्य यजमान कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठ थे। आरती कैलाश माहेश्वरी, प्रहलाद दाढ़, प्रवीण ठाकुर, बंटी भदौरिया, अंकित चोपड़ा, राहुल कटारिया, अभिषेक जैन ने की।
महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान के समीप भगवा ध्वजों से सजे कथा पंडाल में कथा आरंभ में सुलभ शांतु गुरू ने कहा कि रामचरित मानस जीवन जीने का माध्यम है। इसके सात सौपान (कांड) बचपन से लेकर वृध्दावस्था तक किस तरह से जिया जाए इसका आदर्श उदाहरण हैं। श्री रामकथा महायज्ञ ज्ञान गंगा का आयोजन 12 मई से 20 मई तक प्रतिदिन दोपहर 3.30 से शाम 7 बजे तक होगा। कथा में शिव पार्वती विवाह, श्री राम जन्म, सीता राम विवाह, राम राज्याभिषेक जैसे उत्सव कथा के दौरान होंगे। कथा समापन पर प्रतिदिन
प्रसादी का वितरण होगा। आयोजन समिति के संजीव कुलश्रेष्ठ एवं पुनीत अग्रवाल के अनुसार चिंतामण रोड़ स्थित पंजाब नेशनल बैंक के सामने राष्ट्र भारती शिक्षण संस्थान में 9 दिनों तक श्रीराम कथा महायज्ञ ज्ञान गंगा बहेगी।