अब महीने में एक बार ही करना होगा रिटर्न फाइल, जीएसटी परिषद ने लिया फैसला
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने कल अपनी बैठक में महत्वपूर्ण एकल मासिक रिटर्न फाइलिंग प्रणाली का रास्ता साफ कर दिया।
साथ ही वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को पूर्ण सरकारी कंपनी का दर्जा दिये जाने का भी निर्णय लिया गया। वहीं कल की बैठक में जीएसटी परिषद चीनी पर उपकर (Cess) लगाने और चेक तथा डिजिटल भुगतान (Digital Payments) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पर चर्चा के बाद कोई फैसला नहीं लिया गया। साढ़े तीन घंटे लंबी बैठक के बाद फैसला लिया गया कि दो मंत्रालय संबंधित दल गठित किये जायेंगे, जो परिषद के सामने अपने सुझाव पेश करेंगे, जिस पर परिषद की अगली बैठक में फैसला लिया जायेगा।
गौरतलब है कि चीनी के दाम बाजार भाव (26-28 रुपये प्रति किलो) के मुकाबले इसकी लागत 35 रुपये प्रति किलो का आँकड़ा पार कर जाने के बीच गन्ना किसानों की परेशानियों को देखते हुए खाद्य मंत्रालय ने चीनी पर उपकर लगाने का सुझाव दिया था।
जीएसटी परिषद ने अपनी 27वीं बैठक में बिहार के वित्तीय मंत्री सुशील मोदी की अगुवाई वाले आयकर सरलीकरण पर बने मंत्रियों के समूह के सुझाव पर रिटर्न भरने की नयी प्रणाली को हरी झंडी दिखायी, जो तीन चरणों में लागू होगी। जीएसटीएन को नयी प्रणाली लागू करने के लिए सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव करने के लिए 6 महीने का समय दिया जायेगा। परिणामस्वरूप पहले चरण में करदाताओं को अगले 6 महीनों में संक्षेप फॉर्म जीएसटीआर 3बी और जीएसटीआर1 जमा कराना होगा।
अगले 6 महीनों के दूसरे चरण में, नयी प्रणाली में चालान के लिहाज से डेटा अपलोड करने और स्वयं घोषित आधार पर इनपुट कर क्रेडिट के लिए दावा करने की सुविधा होगी, जैसा कि अभी जीएसटीआर 3बी के मामले में होता है। तीसरे चरण में अस्थायी क्रेडिट वापस ले लिया जायेगा और इनपुट कर क्रेडिट केवल उन विक्रेताओं द्वारा अपलोडेड चालानों के लिए सीमित होगा, जिनसे व्यापारी ने सामान खरीदे हैं।
इसके अलावा सरकार निजी कंपनियों से जीएसटीएन की पूरी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ख्ररीदेगी. जिसके बाद 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र की और बाकी 50 प्रतिशत हिस्सा सामूहिक रूप से राज्यों का होगा।