बैंक के अधिकारियों ने ही लगाया बैंक को 600 करोड़ का चूना
एक पुरानी कहावत है कि ‘हमें अपने ने लूटा, ग़ैरों में कहां दम था', ये कहावत आईडीबीआई बैंक पर बिल्कुल सटीक साबित होती है. जिसके ख़ुद के वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर अपने ही बैंक की नैया डूबा दी. आईडीबीआई बैंक से जुड़े 600 करोड़ के धोखाधड़ी मामले में आईडीबीआई बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने अपने बैंक को लूटा और लूटवा दिया.
आईडीबीआई बैंक के तत्कालीन सीएमडी एमएस राघवन के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिंडिकेट बैंक के एमडी और सीईओ एमओ रेगो और इंडियन बैंक के सीईओ और एमडी किशोर खरात को भी इस बैंक फ़्रॉड में आरोपी बताया है.
सीवीसी की एक रिपोर्ट के बाद बैंक धोखाधड़ी के खिलाफ एक बड़े कार्यवाही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एयरसेल के संस्थापक सी शिवशंकरन की कंपनियों एक्सेल सनशाइन लिमिटेड और फिनलैंड स्थित विन विंड ओई और आईडीबीआई बैंक के 15 अधिकारियों समेत 39 लोगों पर मामला दर्ज किया है. ये मामला 600 करोड़ के घोटाले का बताया जा रहा है.
सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों ने आजतक को बताया है कि, इस मामले में बैंक ने कभी शिकायत दर्ज कराने के लिए हमसे संपर्क नहीं किया. आईडीबीआई बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने आरोपी को 600 करोड़ रुपये के बैंक को फ़्रॉड करने में मदद की है.
सीबीआई के मुताबिक अक्टूबर 2010 में आईडीबीआई ने फिनलैंड स्थित कंपनी विन विंड ओई को 322 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया था. फिनलैंड में कंपनी दिवालिया होने के बाद अक्टूबर 2013 में ऋण एनपीए (गैर लाभदायक संपत्ति) हो गया था. लेकिन एनपीए के बारे में जानने के बावजूद फरवरी 2014 में, आईडीबीआई बैंक ने एक्सेल सनशाइन लिमिटेड को 523 करोड़ रुपये का ऋण दिया जो विन विंड ओई से जुड़ी हुई है.
600 करोड़ रुपये के इस घोटाले के संबंध में एजेंसी के 50 अधिकारियों की टीम ने दिल्ली, मुंबई, फरीदाबाद, गांधी नगर, चेन्नई, बैंगलोर, बेलगाम, हैदराबाद, जयपुर और पुणे सहित 10 शहरों में स्थित 50 ठिकानों पर छापेमारी की. एजेंसी के सूत्रों ने 'आजतक' को बताया है कि कई स्थानों छापेमारी अभी भी चल रही है.
एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 409, 420 के तहत और पीसी अधिनियम के तहत आईडीबीआई बैंक के 15 वरिष्ठ अधिकारियों और कंपनियों से जुड़े 24 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इससे पहले भी आईडीबीआई बैंक में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 772 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने का मामला उजागर हुआ था. यह फ्रॉड बैंक की आंध्र प्रदेश और तेलंगाना स्थित 5 शाखाओं में सामने आया था.
आईडीबीआई ने इस घोटाले की जानकारी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में फाइलिंग में दी थी. बैंक ने बताया था कि ये फ्रॉड लोन के जरिए किया गया है. इनमें से कुछ लोन साल 2009 से 2013 के दौरान लिए गए थे. ये लोन फिश फार्मिंग के लिए लिये गए. बैंक ने कहा कि इसमें से कुछ लोन फर्जी दस्तावेज के आधार पर लिया गया था.