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'नहीं सोचा था कि SC/ST Act को राजनीतिक मुद्दा बना देंगे'



एससी/एसटी एक्ट मामले के शिकायतकर्ता ने कहा है कि उन्हें नहीं पता था कि यह फैसला एक अहम राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा। पुणे के सरकारी कॉलेज के कर्मी भास्कर गायकवाड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले पर वह पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं। हालांकि केंद्र की तरफ से दायर याचिका से उनका कोई सरोकार नहीं है।

फैसले के एक माह के भीतर उन्हें अपील दायर करनी है और वह तय समयावधि में फिर अदालत जाएंगे। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि वह एक सरकारी कर्मी हैं और सारे मामले को राजनीति के चश्मे से नहीं देखते। गायकवाड बताते हैं कि 2007 में उन्होंने यह लड़ाई शुरू की थी।

फार्मेसी कॉलेज में स्टोर कीपर का काम करने वाले भास्कर कहते हैं कि ऊंची जाति के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे कागजों में हेरफेर करने को कहा था। वह नहीं माने तो उनकी एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज कर दी गईं। 2009 में तकनीकी शिक्षा के संयुक्त निदेशक सुभाष महाजन के साथ उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। महाजन ने उनका साथ नहीं दिया, तो वह उनके खिलाफ भी हो गए।

महाजन खुद पर दर्ज केस को रद्द कराने के लिए अदालत गए। सरकार ने उनका साथ दिया, लेकिन उन्हें हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली। फिर वह सुप्रीम कोर्ट चले गए। 20 मार्च को अदालत ने फैसला दिया जिससे एससी/एसटी एक्ट बेमतलब हो गया। हालांकि सुभाष महाजन से जब संपर्क साधा गया तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से भी इन्कार कर दिया।

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