सूरज ढलते ही पत्थर के बन जाते है इंसान यहां
उस समय उसके शिष्यों की देखभाल किसी ने नहीं की। किराडू में एक कुम्हारिन रहती थी। उस कुम्हारिन ने उन बीमार शिष्यों की देखभाल की। जब साधू वापस आया तो उसे ये सब जानकार बेहद गुस्सा आया। गुस्से में साधु ने कहा कि जिस स्थान पर दया भाव ही नहीं है वहां मानवजाति को भी नहीं होना चाहिए। गुस्से में साधु ने वहां के सभी नगरवासियों को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। साथ ही साधु के शिष्यों की सेवा करने वाली कुम्हारिन को उसने कहा कि शाम होने से पहले वो वहां से चली जाए और पीछे मुडकर न देखे। लेकिन कुम्हारिन ने साधू की बात नहीं मानी उसने पीछे मुडकर देख लिया और वह भी पत्थर की बन गई। इसी कथा के बाद से ये मान्यता पड गई की अगर शहर में शाम ढलने के बाद कोई रहता है तो वह पत्थर का बन जाता है। इसी कारण से लोग आज भी वहां सूरज ढलते ही मंदिर से वापिस बाहर की ओर चले जाते हैं।
भारत सब धर्मों का देश है। यहां कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई भी धर्म अपना सकता है। भारत में मंदिरों की अगर बात की जाएं तो यहां बहुत से मंदिर है और हर मंदिर की अलग ही तरह की मान्यता है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में स्थित है जिसके पीछे अलग की तरह का रहस्य है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यहां दिन में लोगों की भीड देखने को मिलेगी लेकिन रात में एकदम शांति रहती है। इस मंदिर को लेकर लोग बताते है कि इसके पीछे बहुत बडा रहस्य है। इतिहासकार बताते है कि ये मंदिर 900 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर से एक पुरानी कथा जुडी है जिसके अनुसार राजस्थान के किराडू गांव में एक साधू रहता था। एक समय वो कुछ काम से बाहर गया तो उस साधू के सारे शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया।