पंचम नदी महोत्सव में प्रतिभागियों ने साझा किये अनुभव एवं प्रयास
पंचम नदी महोत्सव के समापन अवसर पर आज होशंगाबाद जिले के बान्द्राभान में जन-अभियान परिषद के कार्यकर्ता, प्रस्फुटन समिति के सदस्यगण, नदी संरक्षण पर कार्य कर रही सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधिगण एवं प्रतिभागियों ने सामूहिक बैठक में अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उत्तम स्वामी ने कहा कि नदी का संरक्षण अनिवार्य रूप से करना होगा। भारत में नदियों की पूजा की जाती है। यदि हम एक व्यक्ति को भी नदी में कचरा डालने से रोक लें, तो यह अपने आप में बद्रीनाथ एवं केदारनाथ की यात्रा करने के बराबर होगा। नदी को संरक्षित करना हजारों माला का जाप करने के बराबर होगा।
खरगोन के एक प्रतिभागी ने बताया कि मण्डलेश्वर में प्रतिदिन सफाई का कार्य किया जा रहा है। सिवनी के ग्राम जाम के प्रतिभागी ने बताया कि उन्होने अपने गांव की नदी में पशुओं के पानी पीने के लिए अलग स्थान बना दिया है। कचरा एवं गंदगी डालने के लिए एक स्थान निश्चित किया है। रीवा के प्रतिभागी विक्रांत द्विवेदी ने बताया कि उन्होने बिछुआ नदी पर कार्य किया है। पहले नदी में कचरा एवं गंदगी थी, उन्होंने कुछ लोगों को जागरूक कर नदी के उद्गम स्थल से लेकर संगम तक का सर्वे कर पद यात्रा कर लोगों को जागरूक किया। पहले वर्ष 21 दिन का श्रमदान किया गया। दूसरे वर्ष 61 दिन का, तीसरे वर्ष 100 दिन का श्रमदान किया गया। इससे लोग आकर्षित हुए और नदी साफ सुथरी हुई। वर्तमान में एक करोड की कार्य योजना बनाई गई है। नदी में फूल एवं नारियल का विर्सजन प्रतिबंधित किया गया है।
मांडू से आये प्रतिभागी ने बताया कि रेवा कुण्ड स्थान पर प्रति वर्ष परिक्रमा वासी आते हैं; आने का रास्ता तो ठीक है किन्तु उतरने का रास्ता कठिन है। उन्होंने उतरने के रास्ते को सुगम बनाने की मांग की। उमरिया जिले के बांधवगढ़ के प्रतिभागी ने बताया कि उनके ग्राम से चरण गंगा नदी बहती है, जो आगे जाकर टोंक नदी में मिलती है। उन्होंने नदी पर छोटे-छोटे बोरी-बंधान किये हैं; इससे वर्ष भर पानी गांव वालों को मिलता है। इससे 300 एकड जमीन भी सिंचित हो रही है। मंडला के प्रतिभागी श्री राकेश अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने सहोदर नदी को गोद लिया है। यह नदी महादेव पहाड़ी से निकलती है। उन्होंने गांव में बैठक कर लोगों को नदी संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया है। नदी में 400 स्क्वेयर फीट का गड्ढा किया जिससे पानी रूक गया है। अब गांव वालों को पशुओं के पानी के लिए ईधर उधर भटकना नहीं पड़ता है।
उमरिया के जयसिंह ने बताया कि उन्होने गांव की नदी में बोरी-बंधान का कार्य किया। इससे नदी का जल-स्तर बढ़ गया। श्योपुरकलां के नरेश कुमार ने बताया कि गांव की नदी में लगातार मिट्टी इकट्ठा हो रही थी, गांव वालों की मदद से मिट्टी को नदी में जाने से रोका गया है। इससे पानी का प्रवाह बढ़ा और पानी साफ भी हुआ। श्योपुरकलां के ही नीतेश शर्मा ने बताया कि धन्वन्ती नदी पर श्रमदान कर उसका गहरीकरण कर जल के स्तर को बढ़ाया गया। गुना के कृष्ण कुमार ने बताया कि उन्होंने नदी जोड़ो अभियान के तहत गांव-गांव जाकर बैठक ली, नदी में बोरी-बंधान और चेक डेम बनाए। इससे अब वर्ष भर पानी रहता है। मंडला के डॉ गजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि उन्होने नादिया नदी पर कार्य किया है। गांव वाले पहले नादिया को नदी ना मानकर महज नाला मानते थे। प्रथम चरण में इस नदी के उद्गम स्थल से लेकर संगम स्थल तक सर्वे कर और श्रमदान के माध्यम से बोर-बंधान किया गया। आसपास वृक्षारोपण किया गया। जबलपुर के श्री विनोद शर्मा ने कहा कि वे नदी बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होने नई नदी नीति में नदी को प्रदूषित करने वालों के लिए दंड का प्रावधान करने की मांग की। उन्होने बताया कि उन्होने पैरियट नदी पर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि जब हम छोटी-छोटी शिशु नदी पर कार्य करेंगे, तभी बड़ी नदियां बच पाएंगी। राजस्थान से आई श्रीमती कमला मीणा ने बताया कि उन्होंने सर्वप्रथम कुएँ के पानी को साफ किया और उसका जल-स्तर बढ़ाया। इनकी देखादेखी गांव की अन्य महिलाओं ने भी कुओं के संरक्षण पर कार्य करना शुरू किया। आज उनके टोक जिले में छोटी नदियों में प्रति वर्ष पानी रहता है। रीवा के श्री अखिलेश कुमार ने पुरवई नदी पर और सीहोर के शंभु सिंह ने नर्मदा नदी पर किए गये अपने कार्य की विस्तार से जानकारी दी। शहडोल, डिंडोरी, बालाघाट, जबलपुर और मुरैना से आए प्रतिभागियों ने भी नदी संरक्षण के लिए किए गए अपने कार्यों की जानकारी दी।
इस अवसर पर नर्मदा समग्र द्वारा नदी महोत्सव पर बनाई गई लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। पंचम नदी महोत्सव के प्रथम दिन शुक्रवार रात सांस्कृतिक कार्यक्रम में ध्रुवा बैण्ड ने गीतों की प्रस्तुति दी। ध्रुवा बैण्ड विश्व का एकमात्र बैण्ड है, जो संस्कृत भाषा में अपनी प्रस्तुति देता है। ध्रुवा बैण्ड ने नर्मदा की महिमा, नर्मदाष्टक एवं सहायक नदियों की महत्ता को अपने संस्कृत गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। बान्द्राभान में नर्मदा एवं तवा नदी के संगम पर आयोजित पंचम नदी महोत्सव में स्व. श्री अनिल माधव दवे के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में चित्रो के माध्यम से श्री दवे के बचपन से लेकर राजनैतिक जीवन तथा पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य को दर्शाया गया था।
दुर्गेश रायकवार