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आचार-विचार की शुद्धता से हर चीज होती है सुलभ


भोपाल। अगर हमारे आचार और विचार शुद्व रहेंगे तो दुनिया की हर चीज-वस्तु सुलभता से प्राप्त होगी। और यदि आचार और विचार ही शुद्व नहीं होंगे तो हम चाहे कितने ही प्रयास कर ले हर तरह के कार्यो में परेशानियां आएगी। क्योकि विचारों में बड़ी शक्ति होती है। गलत विचार भाई को भाई से दूर कर देता है। गलत विचार सास बहू मे भी झगड़ा करा देता है। अच्छे विचारों के लिए जरुरी है कि व्यक्ति का आहार भी अच्छा होना चाहिए। इसलिए सबसे पहले हमे अपने आहर को सुधारना होगा। क्योकि पुराणों में भी कहा गया हैं कि हम जैसा अन्न ग्रहण करेंगे हमारा मन भी वैसा ही होगा। भगवत कृपा भी उसी को प्राप्त होगी जो मन से सरल होगा। और सरलता के लिए तमाम तरह के व्यसनों से दूर रहना जरुरी हैॅ। यह विचार बरखेड़ा नाथू में चल रही रामकथा में ताजपुर से पधारे पं़ रामजाने महाराज ने कही।

श्रीराम कथा में आगे की कथा करते हुए महाराज जी ने बताया कि जब सती को इस बात का भान हुआ कि भगवान भोलेनाथ सर्वव्यापी हैं । उनसे दुनिया में कुछ भी नहीं छुप सकता तो उन्हें अपनी मिथ्या बातों पर बड़ा दुख हुआ। इसी काल में स्रष्ठि के संचालन की जिम्मेदारी ब्रम्हाजी द्वारा दक्ष प्रजापति को सौंपी गई थी। बड़ा पद मिलने से दक्ष को अभिमान पैदा हो गया था। और उनके द्वार किए गए यज्ञ मेंउसने भगवान शंकर को न्योता नहीं भेजा । सती को जब पिता के यहां यज्ञ की जानकारी मिलि तो उन्होंने वहां जाने के लिए भगवान से आज्ञा मांगी भगवान शंकर ने यह कहते हुए मना किया की तुम्हारे पिता ने हमे न्योता नहीं दिया हैं। इसलिए बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए पर सती नहीं मानी। और वे यज्ञ स्थल पर चली गई। वहां पर सभी देवों को देख और भगवान शंकर का स्थान ना देख उन्होंने उसी यज्ञ कुंड में अपनी आहूति दे दी। इसके बाद भगवान ने क्रोध में वीरभद्र को भेजा और उसने अहंकारी दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद सती पार्वती के रुप में जन्म लिया नारद जी के कहने पर माता पार्वती शिव को वर रुप में प्राप्त करने के लिए ने घोर तपस्या की। इसके बाद शिव जी का पार्वती से विवाह की कथा कही। बाद में शिव पुत्र कार्तिकेय द्वारा तरकासुर का वध हुआ। कथा आयोजन समिति के सदस्य अनोखी मान सिंह पटेल ने बताया कि आज श्रीराम जी के जन्म के कारण, नारद जी के अभिमान और पृथ्वी से पाप का अंत करने के लिए राम जन्म की कथा की जाएगी।

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