top header advertisement
Home - उज्जैन << पुलिस एवं अभियोजन अधिकारियों को संवेदनशीलता से कार्यवाही करना चाहिये - महाधिवक्ता श्री कौरव

पुलिस एवं अभियोजन अधिकारियों को संवेदनशीलता से कार्यवाही करना चाहिये - महाधिवक्ता श्री कौरव



एफआईआर सबसे अधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज, इसे लिखने में सतर्कता बरतें : डीजीपी श्री शुक्ल
उज्जैन । महाधिवक्‍ता श्री पुरूषेन्‍द्र कौरव ने पुलिस एवं अभियोजन अधिकारियों से
कहा कि प्रथम सूचना प्रतिवेदन से लेकर तकनीकी साक्ष्‍य के एकीकरण सहित संपूर्ण कार्यवाही इस
प्रकार की जाये कि दोष सिद्धि में कोई कमी न रहे। कई छोटी-छोटी बातों का ध्‍यान रखकर
सजायाबी की दर को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों के लिए जिस मंशा को लेकर
संविधान में विशेष कानून बनाए गए हैं। उसे पूरा करने के लिए विशेष सर्तकता बरतते हुए पुलिस एवं
अभियोजन अधिकारियों को संवेदनशील होकर प्रकरण में कार्यवाही करना चाहिये। उन्होंने कहा कि
संवेदनशील क्षेत्रों में जन-चेतना शिविर जैसे अन्‍य कार्यक्रमों को संचालित कर लोगों में जागरूकता
लाई जाये। उन्‍होंने खाली पदों पर भर्ती के लिये मध्‍यप्रदेश पुलिस द्वारा किये जा रहे प्रयासों की
सराहना की। महाधिवक्ता श्री कौरव आर.सी.वी.पी. नरोन्‍हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में
आयोजित पुलिस एवं लोक अभियोजन अधिकारियों के दो दिवसीय राज्य-स्तरीय सेमीनार के समापन
समारोह को संबोधित कर रहे थे।
पुलिस महानिदेश‍क श्री ऋषि कुमार शुक्‍ला ने कहा कि समाज में व्‍यापक परिवर्तन आ रहा
है। सामाजिक समरसता और सद्भाव के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं। इन प्रयासों में सहयोगी
बनते हुए विवेचना एवं अभियोजन अधिकारी को राज्‍य के प्रतिनिधि के रूप मे पीड़ित को न्‍याय
दिलाने के लिये एक होकर समन्वित प्रयास करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि कमजोर वर्गों
को न्‍याय दिलाने एवं उनके हितों के संरक्षण के लिये अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्‍याचार
निवारण) अधिनियम को व्‍यापक बनाया गया है। निष्‍पक्ष होकर कार्यवाही करने से प्रत्‍येक नागरिक
में व्‍यवस्‍था के प्रति विश्‍वास बढ़ता है। श्री शुक्ल ने अधिकारियों से कहा कि समस्‍याओं का पूर्व
आकलन करें तथा सक्रियता एवं संवेदनशीलता से सामाजिक सशक्तिकरण के लिये कार्य करें। पुलिस
को सा‍माजिक न्‍याय, जनजाति विकास विभाग सहित अन्‍य विभागों के साथ मिलकर समन्वित
रूप से अपराध होने से रोकने के लिये अतिरिक्‍त प्रयास करने होगें। उन्‍होंने कहा कि एफ.आई.आर.
सबसे महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज होता है, अत: इसे लि‍खने में सतर्कता बरतें। एफ.आई.आर. ऐसी हो
जिससे विवेचना में सहायता मिले। डीजीपी श्री शुक्‍ला ने कहा कि ऐसे सेमीनार के माध्‍यम से
अधिकारियों एवं विषय वि‍शेषज्ञों के मध्‍य विस्‍तृत चर्चा होती है तथा अनौपचारिक संवाद से कई
शंकाओं का समाधान होता है। उन्‍होंने सेमीनार के आयोजन के लिए अतिरिक्‍त पुलिस महानिदेशक
अजाक श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्‍तव एवं टीम को बधाई दी। उन्‍होंने अपराध कायमी, अभियोजन
तथा अपराध अनुसंधान के संबंध में कई महत्‍वपूर्ण बातों के बारे में बताया। अतिरिक्‍त पुलिस
महानिदेशक श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्‍तव ने सेमीनार की भूमिका एवं उद्देश्‍यों के संबंध में जानकारी
दी।
सेमीनार के दूसरे दिन न्यायमूर्ति श्री राकेश सक्सेना, चेयरमेन मध्यप्रदेश स्टेट उपभोक्ता आयोग
द्वारा फरियादी एवं साक्षियों का पक्ष विरोधी होना अभियोजन में सबसे बड़ी बाधा है&#39; पर जानकारी दी

 

गई। उच्च न्यायालय इंदौर खण्डपीठ के अधिवक्ता श्री अनिल त्रिवेदी द्वारा &#39;भारतीय समाज में जाति
के आधार पर होने वाले भेदभाव तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्‍याचार निवारण)
अधिनियम का समाज पर प्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया गया। तत्‍पश्‍चात पीपुल्स इंस्टीट्यूट
ऑफ मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च, पीपुल्स यूनिवर्सिटी, भोपाल की प्रोफेसर डॉ. असमा रिजवान द्वारा
त्वरित गति से बदलते समाज में पुलिस की चुनौतियां : सामाजिक बहिष्‍कार एवं जाति के आधार
पर होने वाले वाले अत्‍याचार के विशेष संदर्भ में व्‍याख्‍यान दिया गया। तत्‍पश्‍चात छुआछूत पर
आधारित डाक्‍यूमेन्‍ट्री दि‍खाई गई। प्रतिभागी अधिकारियों की परीक्षा भी ली गई जिसमें पुलिस
अधिकारियों में अजाक एस.पी. श्री रामसनेही मिश्रा तथा अभियोजन अधिकारियों में ए.डी.पी.ओ. रेखा
यादव प्रथम आयीं। अतिथियों ने अधिकारियों को प्रमाण पत्र एवं स्‍मृति चिन्‍ह दिये।

Leave a reply