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मकर संक्रांति पर उज्जैन में सूर्य देव की भव्य सवारी


मकर संक्रांति पर उज्जैन के शनि मंदिर से 108 बटुक ब्राह्मणों के साथ सूर्य देव की भव्य सवारी निकाली गई। ब्राह्मणों ने डमरू, ढोल, ताशे और शंखनाद के साथ भगवान सूर्य की शोभायात्रा निकाली। पालकी में विराजमान सूर्य देव का स्वागत उनके पुत्र शनि देव के प्रतीक स्वरूप ने किया। शोभायात्रा के दौरान विभिन्न ग्रहों के ध्वज लिए बटुक ब्राह्मण चल रहे थे, जो पिता-पुत्र के प्रेम का अद्भुत संदेश दे रहे थे।

कृष्णा गुरुजी ने बताया कि हर त्योहार अपने साथ एक विशेष संदेश लेकर आता है। मकर संक्रांति जो कैलेंडर वर्ष 2025 का पहला त्योहार है। खगोलीय, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'मकर संक्रांति पिता-पुत्र प्रेम का संदेश देती है।

त्रिवेणी में पूजा-अर्चना के साथ सूर्य और शनि का मिलन हुआ। इसके बाद सूर्य देव की पालकी त्रिवेणी संगम पहुंची, जहां आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ और जयकारों के बीच सूर्य देव का पूजन संपन्न हुआ। सूर्य देव की प्रतिमा को शनि मकर राशि के गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंत्रोच्चारण, हवन और पूजा-अर्चना के साथ इस भव्य आयोजन का समापन हुआ।

इस भव्य सवारी में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए। कनाडा, दिल्ली, उज्जैन, इंदौर, भोपाल जैसे स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में भाग लिया और सूर्य-शनि के मिलन का आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया।

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