अधिकारियों की प्रयोगशाला में कर्मचारियों की मौज, पैसों का लेन-देन बदस्तूर जारी, इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद भी नहीं सुधर रहा मंदिर का ढर्रा
उज्जैन - अधिकारियों के लिए प्रयोगशाला बना प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग महाकाल मंदिर इस समय वह कुआं साबित हो रहा है, जहां पूरे कुएं में भांग घुली दिखाई पड़ रही है। करीब एक माह से मंदिर में नजदीक से दर्शन कराने सहित भस्मारती का पैसा गबन किए जाने के मामले में कार्रवाइयों का दौर जारी है। मामले में मंदिर के 10 कर्मचारियों की नौकरी दांव पर लगी है और वे पुलिस जांच में दोषी भी पाए गए हैं, बावजूद इसके मंदिर में पैसों के लेनदेन से दर्शन कराने का खेल जारी है। ये बात एक वायरल ऑडियो वीडियो में सामने आई। जिसमें मंदिर के आउटसोर्स कर्मचारी रूपए के लेन-देन की बाते करते हुए साफ कह रहे हैं कि दर्शन कराने के नाम पर किस तरह से उनकी चेन बनी हुई थी और किसे कितने पैसे मिलते थे।
क्रिस्टल के कर्मचारियों में चर्चा
मंदिर की सुरक्षा में तैनात क्रिस्टल कंपनी के गार्ड्स का ऑडियो-वीडियो लोकनब्ज के हाथ लगा। जिसमें संगठित रूप से एक गिरोह की तरह वसूली का पूरा तरीका बताया गया। बातचीत से स्पष्ट हो रहा है कि गैंग वालों ने अपना पासवर्ड शूटर रखा है। ऑडियो में एक गार्ड अपने साथियों के नाम लेते हुए बता रहा है कि उसे रोजाना अवैध दर्शन के नाम पर कितने रुपए मिलते हैं और बंटवारा किस प्रकार होता है।
शुरूआत से कंपनी विवादों में
क्रिस्टल यानी बढ़िया कांच - सचमुच ये कंपनी अपने नाम की तरह ही साबित हो रही है। महाकाल मंदिर में आने के बाद से ये कंपनी लगातार विवादों में बनी रही, जो हमेशा पारदर्शिता के साथ दिखाई देता रहा। कभी कर्मचारियों की मनमानी, तो कभी अधिकारियों की तानाशाही के किस्से हर हफ्ते सामने आ ही जाते थे। अब कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उगाही की बातें खुलकर सामने आने लगी हैं। हाल ही में वायरल हुआ ऑडियो वीडियो इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
नहीं है किसी तरह का खौफ
गौरतलब है कि हाल ही में की गई जांच में मंदिर का पैसा गबन करने वालों में क्रिस्टल कंपनी के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे, जो वर्तमान में सलाखों के पीछे समय बिता रहे हैं। इसके बाद भी कंपनी कर्मचारियों में किसी तरह का खौफ दिखाई नहीं देता।
ये है पूरा मामला
दरअसल अवैध वसूली से जुड़ा एक वीडियो सामने आने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ। वीडियो में कंपनी के पुराने कर्मचारी ऋषभ वर्मा और सौरभ साद किसी से बात करते हुए नजर आ रहे हैं। वे क्रिस्टल कंपनी के सुपरवाइजर भगवान सिंह का भी नाम ले रहे हैं और ये कहते सुनाई दे रहे हैं कि भगवान सिंह रुपए लेता था। ये दोनों ऐसा इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हफ्तेभर पहले ही ऋषभ और सौरभ को कंपनी ने नौकरी से निकाला था। इसके बाद वे सफाई देने और नौकरी पर वापस रखने की गुहार लगाने कंपनी के ऑफिस पहुंचे। वीडियो में दोनों कर्मचारी मंदिर के एसओ विष्णु चौहान और सुपरवाइजर भगवान सिंह का नाम भी ले रहे हैं। कर्मचारियों के अनुसार मिली भगत से कर्मचारियों के प्वाइंट लगाने के नाम पर भी पैसा लिया जाता है। जो इनके खिलाफ जाता है, उसे ये बाहर कर देते हैं या बेवजह परेशान करते हैं। आपको बता दें कि सोमवार को ही क्रिस्टल कर्मचारियों ने विष्णु चौहान द्वारा प्रताड़ित किए जाने की शिकायत कलेक्टर व पुलिस अधिकारी से की थी।
मंदिर गेट से शुरू होती है उगाही
महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालु आस्था लेकर मंदिर आते हैं, यही कारण है कि वे मंदिर में खर्च होने वाली थोड़ी सी राशि की परवाह किए बगैर केवल दर्शन को महत्व देते हैं, जिस कारण से इस खेल की शुरूआत होती है। सूत्र बताते हैं कि इस खेल में हारफूल बेचने वाले, टेªवल एजेंट, होटल संचालक, ऑटो और ई रिक्शा संचालक सभी शामिल हैं। किसी की सेंटिंग मंदिर के पुजारी है, तो किसी की पुलिस कर्मचारी से, कोई मंदिर कर्मचारियों के जरिए दर्शन करने घुस जाता है तो कोई आउटसोर्स कर्मचारियों की मदद से थोड़े में संतोष करता है। बहरहाल देखा जाए तो पूरे मंदिर में ही उगाही का जबरदस्त खेल जारी है। जिस पर न तो प्रशासन अंकुश लगा पा रहा है और न पुलिस।
मंदिर समिति से मिलती है शह
अगर ये कहा जाए कि कर्मचारियों की इस करतूत में मंदिर समिति की मिली भगत है, तो काई अचरज की बात नहीं है। सूत्र बताते हैं कि ये सारा खेल मिली भगत के साथ ही होता है। ऐसे में जरूरी है कि इस मामले में मंदिर समिति की भी जांच करवाई जाए।
प्रभारी प्रशासन के पास पहुंचा मामला
ये मामला प्रभारी प्रशासक अनुकूल जैन के संज्ञान में भी आया है, जैन का कहना है कि इस मामले में जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।