डेढ़ लाख किमी पैदल विहार करते हुए कल उज्जैन नमकमंडी में होगा भव्य मंगल प्रवेश
उज्जैन। लोकसंत, युग प्रभावक श्रीमद् विजय जयंतसेन सुरिश्वर गुरुदेव के
पट्टधर गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सुरिश्वर एवं आचार्य
श्रीमद विजय जयरत्न सुरिश्वर गुरु महाराज अपने विशाल साधू-साध्वी मंडल के
साथ कल 6 फरवरी को श्री राजेन्द्रसूरी जैन ज्ञानमंदिर नमकमंडी में भव्य
मंगल जुलुस के साथ प्रवेश करेंगे।
डेढ़ लाख किमी पैदल विहार करते हुए एवं आचार्य पदवी के बाद दोनों आचार्य
पहली बार उज्जैन आये हे। इस अवसर पर 6 फरवरी को प्रातः 9 बजे
विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट से भव्य वरघोड़ा निकलेगा जो नगर के प्रमुख
मार्गाे से होता हुआ रंगमहल धर्मशाला पहुंचेगा जहा धर्मसभा होगी।
वीरेन्द्र गोलेचा ने बताया कि 7 फरवरी को प्रातः 8.30 पर दोनों
आचार्यश्री भव्य जुलुस के साथ नमकमंडी से अरविंद नगर पधारेंगे जहा
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के नूतन गृहांगण मे प्रवचन एवं गुरु गुण
स्मरण के साथ ही श्री सिद्धचक्र महापूजन होगा। संध्या 8.30 पर भव्य भक्ति
संध्या में मुम्बई के संगीतकार अपनी प्रस्तुती देंगे। 8 फरवरी को दोनों
आचार्य का मंगल प्रवेश देवास रोड स्थित श्री राजेन्द्र सूरी शताब्दी शोध
संस्थान मे होगा जहां प्रवचन एवं स्वर्ण युक्त चित्रो का अनावरण होगा।
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी, अनिल रुणवाल, दीपक डागरिया, संजय कोठारी,
नरेन्द्र तल्लेरा, नितेष नाहटा, गुणमाला नाहर, शांतिबेन मेहता आदि ने इस
स्वर्णिम अवसर को ऐतिहासिक बनाने की अपील सभी से की है।
आचार्यद्वय का संक्षिप्त परिचय
गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यसेन सुरिश्वर
जन्म नाम- बंसीलाल दसेडा
जन्म- विक्रम संवत 2006 चैत्र बदी 6 राणापुर जिला झाबुआ
संयम जीवन- 51 वर्ष पूर्व वि. स. 2024
पैदल विहार- पिछले 51 वर्षों से सतत बिहार करते हुए 14 राज्यों में आप
करीब ’1.5 लाख किलोमीटर पैदल बिहार कर चुके हैं।
तीर्थ स्थापना- पेपराल तीर्थ स्थापना के साथ ही लोक संत पूण्य सम्राट्
श्रीमद् विजय जयंतसेन सुरिश्वर जी गुरुदेव के सानिध्य में रह कर अनेक
अंजनशलाकाओं, प्रतिष्ठाओ, झरूरी पालित संघ, यात्राओं, तपस्याओ आदि
सद्कार्य में महत्वपूर्ण सहभागीता।
’साहित्य निधि’- पुण्य सम्राट के जीवन पर आधारित स्तवनो की रचना, श्री
जयंतसेन सूरी अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन, वंदन गुरु चरणे, गच्छाधिपति की
गौरव गाथा, गुरु गुणगान का प्रकाशन, शाश्वत धर्म में निरंतर प्रश्न उत्तर
का प्रकाशन।
’शासन प्रभावक कार्य’ पूण्य सम्राट् के साथ विहार कर 51 वर्षों से निरंतर
उनका सानिध्य और सेवा आपकी बहुत बड़ी उपलब्धि है। पूण्य सम्राट् द्वारा
संपन्न सभी शासन प्रभावक कार्य में सहभागिता प्रदान की
’आचार्य श्री जयरत्न सूरीश्वरजी म. सा.’
दीक्षा- 44 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 2031 में
तीर्थ स्थापना- श्री राजेंद्र शांति विहार मोटेरा अहमदाबाद, देलवाड़ा आबू
पर्वत, झरडा जी, डोरडा, काया उदयपुर, श्री गौडी पार्श्वनाथ राजेंद्र सूरी
मातृश्री धाम आकोली।
प्रेरित संस्थाएं- श्री महावीर जैन श्वेतांबर पेढ़ी ट्रस्ट भांडवपुर
तीर्थ, श्री शांतिदूत जैनोदय ट्रस्ट अहमदाबाद, श्री राजेंद्र शांति
जैनोदय ट्रस्ट अहमदाबाद के साथ ही देशभर में कई संस्थाए ’साहित्य
प्रकाशन’रू श्री भांडवपुर दर्शन श्री भीनमाल दर्शन, स्वाध्याय संदर्शन
स्तोत्र संग्रह, श्री भांडवपुर पंचांग।
’शासन प्रभावक कार्य’- उपद्यान तप आराधना, जीन प्रतिष्ठा, तीर्थ
जीर्णाेद्धार, गुरु स्मारकों की स्थापना छरी पालित संघ, संघ संगठन की
स्थापना।