11 वी की परीक्षा के विद्यार्थी को परेशानी ना हो इसके चलते करीब 125 मासूमों को स्कूल से बाहर निकाला . स्कूल के बाहर ही तपती धूप में पाँच कक्षा एक साथ लेकर बैठी शिक्षिका ,
उज्जैन 11 वी के विद्यार्थी की परीक्षा के चलते प्राथमिक स्कूल के मासूम बच्चो को तपती धूप में स्कूल के बाहर खुले में बैठाया . धूप इतनी तेज थी की बच्चे सर पर कापी और किताब रख कर बैठे थे । ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. कई बार खुले में बैठाया गया है बच्चो को । मीडिया पंहुची तो बच्चो को ले गए स्कूल में । कहने को उज्जैन संभागीय मुख्यालय है लेकिन जो तस्वीरे आप देख रहे है खुले आसमान में तपती धूप के अन्दर पड़ते इन बच्चो की यह दृश्य किसी गाँव की पाठशाला की नहीं है बल्कि उज्जैन के शासकीय प्राथमिक विद्यालय नागझिरी के बच्चो की है इस स्कूल में पहली से पांचवी तक 125 बच्चे पढाई करते है जिनकी उम्र चार साल से आठ साल तक बीच है जिन्हें चार शिक्षक स्कुल में पढाते है . अब सवाल उठता है की इन बच्चो को तपती धूप में क्यों पढाई करनी पड़ रही है इसका कारण है की इन बच्चो की क्लास पास के ही शासकीय उच्चतर माध्यमिक विधायल महाराज वाडा क्रमांक 1 के ग्यारहवी के विद्यार्थी की परीक्षा चल रही है .तो 12 से 4 बजे तक ये मासूम धूप में खुले में बैठ कर पढ़ने के लिए मजबूर है . अब सवाल उठा है की परीक्षा से बच्चो का क्या लेना देना। तो पता चला की मासूमों के शौर से पर्क्षार्थियो को परेशानी का सामना करना पड़ता है ये हम नहीं कह रहे है बल्कि ये स्कूल के शिक्षक ही बता रहे है . लेकिन जब हम शिकायत मिलने पर स्कूल पंहुचे तो बच्चो की हालत देख कर लगा की दोपहर की तपती धूप में ये नौनिहाल किस तरह मज़बूरीवश पढाई कर रहे है और धूप इतनी तेज थी की बच्चो ने अपने सर पर कापी और किताब रख रखी थी . लेकिन जेसे ही मीडिया पंहुची तो स्कूल प्रशासन में खलबली मच गयी . जो बच्चे धूप में कई घंटो से बैठे हुए पढाई कर रहे थे उन्हें तुरंत अपनी कक्षा में बैठा दिया गया . कुल मिलाकर बच्चो के इस दशा के जिम्मेदार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विधायल वो प्राचार्य और शिक्षक है जो अपने 11 वी क्लास के परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों के सामने इन मासूम बच्चो को कुछ नहीं समझते . मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाख दावे करे की उनके भांजे और भांजियो को पढाई के लिए हर तरह की सुविधा दी जायेगी लेकिन संभाग स्तर पर पढाई कर रहे इन मासूम बच्चो का ये दृश्य शिवराज सरकार के उन दावो के सामने बेमानी सा लगता है