गांधी जी ने सत्य और अहिंसा की ताकत को विश्व फलक पर सिद्ध कर दिखाया : श्री कड़ेल
उज्जैन @ महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को प्रातः 10: 30 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय परिसर में गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात उपस्थित जनों द्वारा मौन धारण कर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षाविद् श्री अशोक कड़ेल ने महात्मा गांधी के अवदान पर विशिष्ट व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो शीलसिन्धु पाण्डेय ने की।
व्याख्यान देते हुए शिक्षाविद् श्री अशोक कड़ेल ने कहा कि गांधी जी सादगी और सरलता के जीवन्त प्रतीक हैं। उन्होंने सत्य और अहिंसा की ताकत को विश्व फलक पर सिद्ध कर दिखाया, जिनके सामने बड़ी से बड़ी शक्ति को पराजित किया जा सकता है। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए पूरे देश को जाग्रत करने का कार्य किया। नियमित रूप से प्रार्थना को उन्होंने अपने जीवन का अंग बनाया था। देशवासियों के बीच की एकता को तोड़ने की कोशिश उनके दौर में भी की जा रही थी, किन्तु गांधी जी ने सम्पूर्ण समाज को समरस करने का प्रयास किया। वे मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण के पक्षधर थे। गांधी जी शिक्षा की सार्थकता इस बात में मानते हैं कि वह देशप्रेम जाग्रत कर आदर्श नागरिक बनाए। उनके द्वारा दी गई स्वावलंबन और स्वदेशी की प्रेरणा आज अधिक प्रासंगिक हो गई है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो शीलसिन्धु पाण्डेय ने कहा कि गांधी जी ने आत्मशक्ति के माध्यम से सत्य की विजय का मार्ग दिखाया था। सत्याग्रह वही कर सकता है, जिसका जीवन अनुकरणीय हो। लोगों में सहनशीलता कम हो रही है, जिसके दुष्प्रभाव सम्पूर्ण समाज में दिखाई दे रहे हैं। गांधी जी ने अहिंसा और आत्म संयम का मार्ग दिखाया है, जो आज हम सबके लिए उपयोगी है। भारत ही नहीं, वरन दुनियाभर के लोग आज गांधी जी द्वारा दिखाई गई राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रारम्भ में आयोजन की पीठिका और स्वागत भाषण देते हुए कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी आलोक के विराट पुंज हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनके विचार सही राह दिखाते हैं। भूमंडलीकरण और उपभोक्तावाद की बढ़ती प्रवृत्ति के परिणामों को लेकर उन्होंने दशकों पहले आगाह किया था। काल के प्रवाह में उनके संदेश अधिक से अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं।
इस अवसर पर कुलपति प्रो पाण्डेय ने उपस्थित जनों को नशामुक्ति की शपथ दिलाई। अतिथि स्वागत प्रो एच पी सिंह, विद्यार्थी कल्याण अधिष्ठाता प्रो राकेश ढंड, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ अनिल जैन, छात्रसंघ अध्यक्ष श्री लक्ष्य मालवीय आदि ने किया। आयोजन में प्रो आर सी वर्मा, प्रो बी के मेहता, प्रो जसराज सिंह, प्रो निशा वशिष्ठ, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो डी एम कुमावत, प्रो बालकृष्ण शर्मा, डॉ प्रशांत पुराणिक, डॉ सोनल सिंह, डॉ डी डी बेदिया, डॉ बी के आंजना, डॉ राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, डॉ रमण सोलंकी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ एस के मिश्रा ने किया। आभार प्रदर्शन पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ अनिल जैन ने किया।