बिना अन्न जल के 153 दिन की साधना, महावीर स्वामी के बाद मुनि प्रसन्न सागर ने की
जयपुर। इन दिनों सम्पूर्ण समाज में जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज की तपस्या की चर्चा हो रही है। मुनि प्रसन्न सागर महाराज इन दिनों जयपुर के निकट दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पदमपुरा में विराजमान हैं। क्रांतिकारी संत तरुण सागर महाराज भी 10 जनवरी को प्रसन्न सागर महाराज की घोर तपस्या पर प्रवचन देंगे। सम्पूर्ण समाज के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि 186 दिन के उपवास के बाद 11 जनवरी को प्रसन्न सागर महाराज स्वयं प्रवचन देंगे। यही वजह है कि भक्तगण सिंह निष्क्रीडित व्रत महापरायण महोत्सव कर रहे हैं। इस अवसर पर अनेक केन्द्रीय मंत्री आदि उपस्थित रहेंगे।
महाराज के ससंघ से जुड़े मुनि पीयूष सागर ने बताया कि प्रसन्न सागर महाराज पिछले 186 दिनों से मौन व्रत पर हैं। 11 जनवरी को मौन व्रत के 186 दिन पूरे होने पर वे श्रद्धालुओं को पहली बार प्रवचन देंगे। 186 दिनों का मौन व्रत अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है, लेकिन यह ईश्वरीय चमत्कार तब बन गया, जब महाराज ने 153 दिन अन्न और जल भी ग्रहण नहीं किया। भगवान महावीर स्वामी के बाद जैन मुनि प्रसन्न सागर महाराज पहले ऐसे तपस्वी होंगे, जिन्होंने इतनी कठोर तपस्या की है।
बड़े से बड़ा तपस्वी अन्न के बिना तो रहा सकता है, लेकिन 153 दिनों तक जल के बिना नहीं। इतना ही नहीं भूखे प्यासे महाराज प्रसन्न सागर ने इस अवधि में प्रतिदिन पदमपुरा की 111 परिक्रमा लगाई तथा पुस्तकों के 500 पृष्ठ पढ़े। इतना ही नहीं प्रतिदिन 200 पृष्ठों का लेखन भी किया। महाराज प्रसन्न सागर ने इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली है। इसलिए उनके लिए अब भूख प्यास नींद आदि कुछ भी मायने नहीं रखती है। ग्लोबल बुक रिकाॅर्ड वाले भी 10 जनवरी को पदमपुरा आकर अवार्ड देंगे।