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Home - उज्जैन << एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग अरुणिमा को महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में जाने को नहीं मिलने से नाराज हुई . पारम्परिक परिधान का पहनावा नहीं होने के कारण नहीं मिला प्रवेश , मंदिर प्रशासक ने मांगी माफ़ी

एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग अरुणिमा को महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में जाने को नहीं मिलने से नाराज हुई . पारम्परिक परिधान का पहनावा नहीं होने के कारण नहीं मिला प्रवेश , मंदिर प्रशासक ने मांगी माफ़ी


माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाली देश की पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा महाकाल मंदिर की अव्यवस्थाओं की शिकार हो गई। वह रविवार तड़के दर्शन के लिए पहुंची। मंदिर कर्मचारियों के रोकने पर उन्हें एलईडी स्क्रीन पर भस्मारती दर्शन करने पड़े। फिर नंदीगृह-गर्भगृह तक पहुंचने में भी दो बार रोका। दिव्यांगों के लिए दर्शन की आदर्श व्यवस्था करने पर महाकाल मंदिर को इसी महीने नईदिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। विश्व प्रसिद्द महाकाल  मंदिर में  दिव्यांग अरुणिमा कल सुबह उज्जैन पंहुची जन्हा वो महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की गेस्ट बनकर दर्शन के लिए आई थी सुबह भस्म आरती के बाद अरुणिमा  गर्भ गृह में जाकर दर्शन करना चाहती थी लेकिन वंहा मोजूद कर्मचारियों ने उसे रोक दिया जिसके बाद कई बार मिन्नतें करने के बाद भी गर्भ गृह में नहीं जाने दिया गया . और बिना गर्भ ग्रह  दर्शन नहीं मिल पाने के कारन नाराज हो गयी . और पि एम् मोदी को शिकायत करने की बात कह कर चली गयी . दरअसल मंदिर में भस्मारती चल रही थी, कर्मचारियों ने नंदी हाॅल के ऊपर अरुणिमा को  कार्तिकेय मंडपम् में बैठा दिया। एलईडी स्क्रीन पर भस्मारती देखी। गर्भगृह से दर्शन के लिए चैनल गेट पर रैंप के समीप पहुंची तो सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। परिचय दिया, बार-बार आग्रह किया। यह भी बताया दिव्यांग हूं लेकिन वे नहीं माने। नंदी हॉल में जाने लगी तो फिर रोका।  हालाकि ये बात भी है की अल सुबह होने वाली भस्म आरती और उसके कुछ देर बाद तक गर्भ गृह में जाने के लिए गणवेश होता है जिसमे साडी पहनना जरुरी होता है लेकिन मंदिर कर्मचारी अगर कह देते तो शायद  अरुणिमा साड़ी पहन कर दर्शन करने आजाती . इस बात को लेकर महाकाल मंदिर प्रशसक ने माफ़ी मांगी है और कहा है की हम उनसे बात कर वापस मंदिर बुलायेंगे और  दर्शन करायेंगे .  

 

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