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मकर संक्रांति पर महाकाल को लगा तिल-गुड़ का भोग


मकर संक्रांति पर्व पर मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी और शिप्रा नदी के घाटों पर सुबह से भी श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। उज्जैन में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया और भगवान महाकाल का आशीर्वाद भी ले रहे हैं।

महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि, भगवान महाकाल को तिल के तेल से स्नान कराने और तिल्ली के पकवानों का भोग लगाया गया। भगवान को गुड़ और शक्कर से बने तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की।

इसके साथ ही मंडला, खरगोन, खंडवा, जबलपुर, मंडला और छिंदवाड़ा में भी श्रद्धालु स्नान कर भगवान की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। छिंदवाड़ा के गर्म कुंड में स्नान कर लोगों ने कुंडेश्वर भोलेनाथ की पूजा की।

इंदौर के नेहरू स्टेडियम में पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया है। यहां कई लोग पतंगबाजी का आनंद ले रहे हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और विधायक महेंद्र हार्डिया ने भी पतंगबाजी, सितोलिया और गिल्ली डंडे के खेल का मजा लिया।

संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर होता है। मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यतः चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी, पात्र, वस्त्र, भोजन आदि वस्तुओं का दान अलग-अलग ढंग से करने की परंपरा भी है।

मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा भी मिलती है। वहीं पितरों के निमित तर्पण करने से, गाय को घास खिलाने से और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और काम में गति बढ़ती है।

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