नोटबंदी : बदला नोट का रंग, तो सुधर गया सिस्टम
आज से एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैसे ही 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बंद करने की घोषणा की, लोगों के चेहरे में हवाइयां उड़ने लगीं और कालाधन खपाने में लग गए। लेकिन अब सालभर के भीतर बाजार के साथ आम जनजीवन की भी पूरी तस्वीर बदल गई है।
एक ओर जहां 500 और 1000 के नकली नोटों से त्रस्त जनता को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर टैक्स भरने वाले करदाता भी 30 फीसदी बढ़े हैं। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि पिछले साल नोटबंदी के दौरान जो कारोबार पूरी तरह से गिर गए थे, इस साल त्योहारी सीजन में उन्होंने छलांग मारी है।
बाजार के जानकारों और कर विशेषज्ञों का कहना है कि नोटबंदी से सबसे ज्यादा फायदा तो यह हुआ है कि करदाता 30 फीसदी बढ़ गए हैं। नोटबंदी के दौरान से लेकर अभी तक स्वस्फूर्त होकर टैक्स जमा करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
कर विशेषज्ञों का कहना है कि एक बात जरूर कही जा सकती है कि नोटबंदी से जितना कालाधान आने की उम्मीद की जा रही थी, वैसी स्थिति नहीं रही तथा लोगों ने बच निकलने तरीका ढूंढ लिया।
कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी की वजह से शुरुआती दो से तीन महीना ही कारोबार की रफ्तार धीमी रही, लेकिन उसके बाद यह साल अच्छा ही रहा। सभी सेक्टरों में सबसे ज्यादा प्रभावित केवल रियल इस्टेट सेक्टर ही रहा लेकिन अब रियल इस्टेट में भी पॉजीटिव रुख आने लगा है।
सराफा में 25 फीसदी बढ़ा कारोबार, कारोबार ने लौटाई खुशियां
सराफा सेक्टर में नोटबंदी के शुरुआती तीन महीने तो कारोबार तो ठप रहा, लेकिन इसके बाद बाजार की स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी। हालांकि इन एक सालों में सोने की डिमांड 25 फीसदी तक कम हुई है, लेकिन सराफा में एक बात सामने आई है कि अब बाजार में निवेशक नहीं, बल्कि खरीदार ही सामने है।
दिवाली के पहले केंद्र सरकार ने बिना पैन कार्ड खरीदी की सीमा 50 हजार से बढ़ा कर दो लाख रुपए तक किया, यह सराफा बाजार के लिए संकट की घड़ी में संजीवनी साबित हुई यही कारण है कि बीते त्योहारी सीजन में हुई जबरदस्त खरीदारी ने इस सेक्टर की सारी खुशियां लौटा दी हैं। कारोबारियों का कहना है कि अब सराफा की स्थिति सुधरती जा रही है।
त्योहारी सीजन कारोबार
2016 100 करोड़
2017 125 करोड़
कार-बाइक सरपट भागी, नोटबंदी रहा बेअसर
ऑटोमोबाइल कारोबारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन में कार-बाइक सरपट भागी है। नोटबंदी, जीएसटी सारे बेअसर साबित रही। उपभोक्ताओं ने कार-बाइक की खरीदारी की। कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी की वजह से पिछले साल नवंबर-दिसंबर का महीना ही प्रभावित रहा। इसके बाद बाजार धीरे- धीरे चढ़ता गया। अब सब सामान्य हो चुका है।
त्योहारी सीजन कारोबार
2016 170 करोड़
2017 200 करोड़ से ज्यादा
निवेश का मौका अच्छा, लेकिन लोग कन्फ्यूज
रियल इस्टेट कारोबारियों का कहना है कि पिछले साल नोटबंदी के समय रियल इस्टेट की स्थिति काफी खराब थी। कारोबार जबरदस्त तरीके से गिर गया था तथा उसके बाद इस साल जीएसटी और रेरा के चलते इस सेक्टर पर थोड़ा प्रभाव पड़ा।
रियल इस्टेट के जानकारों का कहना है कि प्रॉपर्टी बनाने का मौका अभी काफी अच्छा है लेकिन उपभोक्ता प्रॉपर्टी के क्षेत्र में थोड़े कन्फ्यूज हो गए हैं। इस समय प्रॉपर्टी की कीमतें स्थिर हैं तथा लोगों को ऑफर भी दिए जा रहे हैं।
नोटबंदी के कारण निवेशक बड़ी संख्या में बाहर हो गए और अब केवल जरुरतमंद ही मकान- जमीन की ओर आ रहे हैं। इसका फायदा यह हुआ कि महंगाई पर लगाम लगी है। एक सर्वे के अनुसार देशभर में रियल इस्टेट में मंदी का दौर चल रहा है, फिर भी दूसरे शहरों की तुलना में रायपुर बेहतर है।
त्योहारी सीजन कारोबार
2016 250 करोड़ से अधिक
2017 175 करोड़
नोटबंदी से ये रहे फायदे और नुकसान
सराफा मार्केट
फायदा-वायदा पड़ा कमजोर तथा मार्केट में निवेशकों से ज्यादा खरीदार सामने आने लगे हैं।
नुकसान- नोटबंदी की वजह से पिछले साल नवंबर से लेकर इस साल अगस्त तक मार्केट की रफ्तार काफी सुस्त रही।
ऑटोमोबाइल सेक्टर
फायदा-इस सेक्टर में भी कैश लेन-देन से ज्यादा कार्ड पेमेंट और चेक शुरू हुआ। इसके साथ ही उपभोक्ताओं के लिए 100 फीसदी तक फाइनेंस और ऑफरों की बौछार की गई।
नुकसान- नोटबंदी के शुरुआती छह महीने तो मार्केट की रफ्तार काफी सुस्त रही। पैसे होने के बावजूद उपभोक्ताओं की गाड़ियां खरीदने में दिलचस्पी नहीं रही।
रियल इस्टेट सेक्टर
फायदा-अब रियल इस्टेट में असली खरीदारी सामने आने लगे हैं। बिल्डर्स भी अपना माल बेचने उपभोक्ताओं को सही ऑफर दे रहे हैं। इसके साथ ही कीमतों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
नुकसान-जबरदस्त ऑफर और प्रोजेक्ट के बाद भी सालभर बाद भी उपभोक्ता प्रॉपर्टी बनाने के लिए थोड़े कन्फ्यूज हैं।
पटरी पर लौटने लगी इंडस्ट्री
फायदा-औद्योगिक संस्थान के कार्य भी पटरी पर लौटने लगे है। उद्योगपतियों का कहना है कि नोटबंदी के दो से तीन महीने तो काफी तनाव भरे रहे लेकिन उन दो-तीन महीनो में पॉजीटिव चीजें ये हुईं कि हमने सीख लिया कि शॉर्टेज तथा मंदी की स्थिति में कैसे निपटा जाए।
नुकसान-नोटबंदी के दिनों में औद्योगिक संस्थानों में रोजगार की समस्या आने की भी चर्चा है।
कालाधन रोकने का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ-
नोटबंदी को अब साल भर बीत चुके हैं और व्यापार-उद्योग जगत के साथ ही आम जनता पर भी कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य कालाधन पर लगाम कसना था,जो पूरा नहीं हो पाया। नोटबंदी के शुरुआत में ऐसा लगा कि कालाधन पर लगाम लगेगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि नोटबंदी के शुरुआती दिनों में उपभोक्ताओं को हुई परेशानी अब दूर हो गई है तथा नोटबंदी की वजह से करदाताओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी माना जा सकता है। इसे काफी अच्छी बात कही जा सकती है।
आम जनता के लिए भी शुरुआती कुछ महीने परेशानी वाले रहे, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो गई है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था की गति थोड़ी बढ़ सकती है तथा व्यापार-उद्योग के साथ ही आम उपभोक्ताओं के लिए भी राहत वाले रहेंगे। - -डॉ. रविन्द्र ब्रम्हे, अर्थशास्त्री
बैंकों की हालल अच्छी, लेकिन सुविधाएं खराब
नोटबंदी के बाद अब बैंकों की स्थिति काफी अच्छी हो गई है, लेकिन उपभोक्ताओं की सुविधाएं और खराब हो गई है। उपभोक्ताओं को अभी भी चिल्हर की समस्या से जुझना पड़ रहा है। इसके साथ ही एटीएम और पैसे जमा करने की मशीने भी अभी तक खराब पड़ी हुई है।
इन्होंने यह कहा-
बढ़े करदाता,व्यापार भी सुधरा-
नोटबंदी की वजह से सबसे अच्छी बात यह रही कि करदाता बढ़ गए है। स्वस्फूर्त होकर ही करदाता सामने आ रहे हैं। साथ ही अब व्यापार-उद्योग जगत की स्थिति भी सुधर रही है। लेकिन एक बात बस कही जा सकती है कि कालाधन जितने आने की उम्मीद की जा रही थी वैसा बिल्कुल नहीं रहा। -चेतन तारवानी, कर विशेषज्ञ व पूर्व अध्यक्ष(आयकर बार एसोसिएशन)
सराफा की स्थिति सुधरी-
सराफा जगत की स्थिति पूरी तरह से सुधरने लगी है। इसका अंदाजा त्योहारी सीजन के कारोबार को देखकर ही लगाया जा सकता है। नोटबंदी से कुछ समय के लिए स्थिति थोड़ी खराब रही लेकिन अब स्थिति सुधर गई।- दीपचंद कोटड़िया, उपाध्यक्ष, सराफा एसोसिएशन
अब उठने लगा प्रॉपर्टी मार्केट-
पिछले साल नोटबंदी के बाद रियल इस्टेट में कुछ इफेक्ट आया था। इसके बाद जीएसटी और रेरा के चलते भी मार्केट थोड़ा सुस्त रहा, लेकिन अब प्रॉपर्टी का रुख पॉजीटिव हो गया है। असली खरीदार भी सामने आ गए है। विशेषकर प्लॉटिंग और रेडी पजेशन घर लेने वाले बढ़े हैं। -आनंद सिंघानिया, उपाध्यक्ष, नेशनल क्रेडाई
गाड़ियों की रफ्तार अच्छी रही-
पिछले साल नोटबंदी के समय गाड़ियों की रफ्तार बहुत कम हो गई थी, जो इस साल त्योहारी सीजन में जबरदस्त रफ्तार से दौड़ी। कारों के साथ बाइक की रफ्तार भी काफी अच्छी रही।