वीराने में फंसा युवक, जिंदा रहने के लिए पीना पड़ा यूरिन
अगर आपने राजकुमार राव की फिल्म 'ट्रैप्ड' देखी है तो आपको पता होगा कि जिंदा रहने के लिए इंसान किसी भी हद तक जा सकता है. इस फिल्म में राव का किरदार एक नई इमारत के 35वें माले में फंस जाता है और हर वो चीज करता है जो उसे जिंदा रख सकती है. यह तो फिल्म थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के एक 21 वर्षीय युवक के साथ इसी तरह की घटना हो गई.
कार एक्सीडेंट होने के बाद वह युवक दो दिन में 140 किलोमीटर तक पैदल चला और जान बचाने के लिए उसे खुद का युरिन भी पीना पड़ा.
पेशे से तकनीशियन थॉमस मैसन नॉर्दर्न टेरिटरी और साउथ ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर के रिमोट इलाके में काम कर रहे थे. काम खत्म करने के बाद वह वापस लौट रहे थे. रास्ते में उन्हें जंगली जानवरों का एक झुंड दिखा, जानवरों को बचाने की कोशिश में उन्होंने स्टीयरिंग घुमाई और उनकी कार क्रैश हो गई.
पुलिस ने बताया कि हादसे में थॉमस को कोई चोट नहीं आई लेकिन ऑस्ट्रेलिया के सबसे खतरनाक और दुर्गम इलाके में वह बिना खाना और पानी के फंस गए. जहां उनकी कार क्रैश हुई उस जगह से सबसे करीबी कस्बा नॉर्दर्न टेरिटरी वहां से 150 किलोमीटर दूर है. इसके बाद थॉमस दो दिनों तक पैदल चलते रहे, रास्ते में पानी नहीं मिला तो जिंदा रहने के लिए उन्हें अपना पेशाब पीना पड़ा.
थॉमस ने कहा कि उन्हें पता था कि या तो वह वहीं रुककर मरने वाले हैं या फिर हाईवे तक पहुंचकर किसी से मदद ले सकते हैं. थॉमस के पास खाना नहीं था, केवल कुछ कपड़े थे और एक टॉर्च था. उन्होंने चलना शुरू किया. उस दिन उनके फोन पर आउटगोइंग की सुविधा खत्म हो गई थी और उनके पास अगले 24 घंटों तक किसी का फोन आने की उम्मीद भी नहीं थी.
थॉमस ने कहा, “मैं उस वक्त सोचने लगा कि लोगों को यह अहसास करने में कितना वक्त लगेगा कि मैं अब कभी वापस नहीं आऊंगा.” रास्ते में थॉमस को एक जगह पानी की टंकी और बोतल मिली, लेकिन इसके सहारे वह कुछ दूर ही चल सके और अंततः उन्हें जिंदा रहने के लिए अपना ही युरिन पीना पड़ा.
उन्होंने कहा, "रास्ते में तीन-चार बार ऐसा भी हुआ कि मैंने सोचा कि रुक जाऊं, जो होगा देखा जाएगा." हालांकि दो दिन बाद भी जब थॉमस घर नहीं पहुंचे तो उनके पैरेंट्स गैरी और डेबी मैसन को लगा कि कुछ गड़बड़ है. लेकिन तब तक मैसन 140 किलोमीटर पैदल चलकर मेन रोड तक पहुंच चुके थे. वह 60 घंटों तक पैदल चलने के बाद वहां तक पहुंचे थे.
मेन रोड पर थॉमस को मदद मिली और उन्होंने अपने माता-पिता से बात की. उन्होंने कहा, “मैं यह सोच भी नहीं सकता कि यदि वे मदद के लिए नहीं आते तो मैं एक और रात वहां कैसे रहता. मैं खुशकिस्मत हूं कि बच गया.”