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वन नाइट स्टैण्ड का मतलब नहीं है शादी - बॉम्बे हाई कोर्ट


वन-नाइट स्टैंड या किसी महिला और पुरुष के बीच बनने वाला शारीरिक संबंध हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी के दायरे में नहीं आता। यह बात बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल के अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कही है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि वन-नाइट स्टैंड के बाद अगर दोनों की शादी नहीं होती और बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे का पिता की संपत्ति में कोई हक नहीं होगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की जज जस्टिस मृदुला भटकर ने कहा, 'महिला-पुरुष के संबंध को शादी कहे जाने के लिए पारंपरिक रीति-रिवाज या फिर कानूनी प्रक्रिया के तहत शादी करना जरूरी होता है। इच्छा या दुर्घटनावश बना शारीरिक संबंध शादी नहीं होती।'

कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरेज एक्ट की सेक्शन 16 इस तरह के संबंध को शादी की मान्यता नहीं देती, लेकिन कोर्ट ने साथ ही कहा कि समाज बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जज ने कहा, 'कुछ देशों में समलैंगिकों के संबंध को शादी मानी गई है, वहीं लिव-इन रिलेशनशिप और ऐसे संबंध से बच्चों के जन्म ने कठिन मसले को जन्म दिया है। इसने साथ ही कानूनी जानकारों के लिए इसे शादी के रूप में परिभाषित किए जाने की चुनौती पेश कर दी है।'

हिंदू मैरेज एक्ट के तहत बच्चे के अधिकार के लिए शादी को साबित करना जरूरी होता है, भले वह शादी बाद में अवैध घोषित कर दी गई हो। कोर्ट एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसकी दो पत्नियां थीं। जब यह बात साबित हो गई कि व्यक्ति ने दूसरी बार शादी की थी, कोर्ट ने उसकी दूसरी शादी को अवैध घोषित कर दिया। हालांकि, उसकी दूसरी पत्नी से जन्म लेने वाली बच्ची को संपत्ति में अधिकार दिया गया।

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