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केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल दवे के निधन से परिजनों में शौक


ujjain : केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन हो गया। उज्जैन में भी दवे के बुआ और काका का परिवार रहता है। निधन की खबर मिलते ही परिवार में शौक की लहर दौड़ गई। परिजन गमगीन है और उन्होंने बताया कि दवे परिवार के लिए अनिल का निधन बड़ी क्षति है। अनिल माधव दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बड़नगर में 1956 को हुआ था। उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी। उनकी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया।

              अनिल दवे जी के दादा स्व. दादा साहब दवे जनसंघ के प्रथम संस्थापक अध्यक्ष रहे है। दवे जी के पिताजी स्व. माधव दवे गुजरात में रेलवे में पदस्थ थे। माधव दवे के तीन भाई गोविंद दवे, केशव दवे और नवीन दवे थे। जबकि दो बहनें विमला बेन और साधना जी है।

       गुजरात में रहने के कारण बार-बार माधव दवे का तबादला होता था। इसलिए अनिल दवे को पढ़ाई करने में परेशानी होती थीं। ऐसे में पढ़ाई को लेकर हमेशा सजग रहने वाले अनिल दवे ने इंदौर में अपने अंकल गोविन्द दवे जी के यहां रहकर अध्ययन किया।

       तीन भाई और दो बहनों में अनिल दवे सबसे बड़े भाई थे। अनिल दवे की बहन अर्चना शर्मा (आणंद गुजरात), अभव दवे (इंदौर), अति जोशी (ग्वालियर), अतिन त्रिवेदी इंदौर में निवास करती है। उज्जैन में उनके बुआ साधना उपाध्याय का परिवार एवं काका नवीन दवे परिवार सहित रहते है। बड़नगर में उनका पुस्तैनी मकान है।

       मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे अनिल माधव दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था। वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। वह वर्ष 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उनकी रणनीति उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी। इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया।

       वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया। दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे। उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था।

       अनिल माधव दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया। वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे। दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने सिंहस्थ कुंभ मेला के अवसर पर उज्जैन में उन्होंने वैचारिक महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था।

       दवे ने अपने पूरे जीवन को पर्यावरण के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। नर्मदा बचाओ अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। दवे ने खुद नर्मदा समग्र नाम की एक संस्था बनाई थी, जो नर्मदा को बचाने के लिए काम करती थी। 

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