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भारतीय नागिरक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने सुनाई फाँसी की सजा, भारत का कड़ा विरोध ‘फाँसी दी तो हत्या मानेंगे’


भारतीय नागिरक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में मिली फांसी की सजा पर मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एमनेस्टी ने कहा है कि जाधव को मौत की सजा देकर पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने एक बार फिर दिखा दिया है कि किस तरह उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का माखौल उड़ाया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आर्मी कोर्ट के फैसले की क्षमता पर भी सवाल उठाए।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया निदेशक बिराज पटनायक ने कहा, कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं। उन्होंने बयान जारी कर कहा, बचावकतार्ओं को उनके अधिकारों से वंचित करना और कुख्यात गोपनीय तरीके से काम कर सैन्य अदालतें न्याय नहीं करतीं बल्कि उसका मजाक उड़ाती हैं। उनकी काफी गलत व्यवस्था है जिन्हें केवल सैन्य अनुशासन के मुददों से निपटना चाहिए न कि अन्य अपराधों से।

सीएम फडणवीस ने पाकिस्तान की आलोचना की
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पाकिस्तान की निंदा की। उन्होंने कहा कि इसका मकसद पाकिस्तान के लोगों का अपनी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाना है। फडणवीस ने कहा कि हम पाकिस्तान सेना के कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं। इस बीच, वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि जाधव को बिना निष्पक्ष सुनवाई के मौत की सजा दी गई।

पाक के कैदियों की रिहाई रोकी
भारत ने कुलभूषण जाधव के मामले में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाक के दर्जन भर कैदियों की रिहाई न करने का फैसला किया है। इन कैदियों को बुधवार को छोड़ा जाना था। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार मानती है कि यह पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई का उचित समय नहीं है। दोनों देश सामान्य तौर पर सजा पूरी करने के बाद एक-दूसरे के कैदियों को रिहा कर देते हैं। लेकिन जाधव के खिलाफ पाक की कार्रवाई ने पूरे घटनाक्रम को बदल दिया है।

भारत ने सौंपा विरोध पत्र
भारत ने विरोध में कहा है कि यदि एक भारतीय नागरिक के खिलाफ यह सजा कानून और न्याय के मूल मानदंडों को देखे बिना दी जाती है, तो भारत सरकार और यहां के लोग इसे पूर्व नियोजित हत्या का मामला मानेंगे। राजधानी में सोमवार को विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया और इस बारे में विरोध पत्र सौंपा।

इसमें कहा गया है, 'हमने एक भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के बारे में सोमवार को आईएसपीआर (पाक सेना की मीडिया शाखा) की प्रेस विज्ञप्ति देखी है। पिछले साल ईरान से जाधव का अपहरण कर लिया गया था और पाकिस्तान में उसके बाद की मौजूदगी पर कभी भी विश्वसनीय जानकारी नहीं दी गई। भारत सरकार ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग के माध्यम से बार-बार उन तक राजनियक पहुंच देने की मांग की। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक इस आशय के अनुरोध औपचारिक रूप से 25 मार्च 2016 और 31 मार्च 2017 के बीच 13 बार किए गए थे। पाकिस्तान अधिकारियों ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।'

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