पर्यावरण मित्रवत पहल के माध्यम से पश्चिम रेलवे द्वारा पर्यावरण का संरक्षण
यातायात क्षेत्र हमारे देश की आर्थिक प्रगति और इसके सामाजिक विकास का प्रमुख उत्प्रेरक है । यद्यपि यह क्षेत्र प्रमुख ऊर्जा उपभोकता है और देश में उत्सर्जन का महत्वपूर्ण भागीदार भी है। फिर भी यह गर्व से स्वीकार किया जा सकता है कि भारतीय रेलवे न केवल यात्री और माल परिवहन में यातायात का एक कुशल माध्यम है बल्कि ऊर्जा संरक्षण में अत्यंत प्रभावशाली भी है । यह देश के कोने-कोने में बसे लोगों को न सिर्फ आपस में जोड़ने का कार्य करता है बल्कि यह माध्यम पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान देता है। पर्यावरण प्रभावों और ग्रीन हाउस गैस के स्राव को कम करने के लिए पश्चिम रेलवे द्वारा किए गए विशिष्ट प्रयासों और पहल में हमें वांछित परिणाम प्राप्त हुए हैं। ग्रीन हाऊस स्रावों को कम करने तथा ऊर्जा बिल में बचत करने के उद्देश्य से रेल मंत्रालय ने ऊर्जा पुनः उत्पादित स्रोतों के इस्तेमाल पर जोर दिया है।
रेलवे ने कुछ अग्रगामी प्रयासों जैसे रेलवे भवनों, रेलवे कोचों इत्यादि की छत पर सोलर पैनल लगाए हैं जिससे सोलर ऊर्जा प्राप्त की जा सके और कार्बन फुटप्रिन्ट एवं कई अन्य कारणों से होने वाली हानि से बचने के लिए रेलवे की जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगाए हैं । इस अनुकरणीय गतिविधि के अनुसरण की दिशा में पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री रविन्द्र भाकर ने बताया कि भारतीय रेलवे में पश्चिम रेलवे हरित ऊर्जा के उपयोग तथा ऊर्जा संरक्षण में अग्रणी है।
ग्रीन कॉरिडोर
इस संबंध में श्री भाकर ने कहा है कि पश्चिम रेलवे पर परिचालित ट्रेनों के यात्री डिब्बों से मानवीय अवशिष्ट के शून्य डिस्चार्ज को सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम रेलवे ने डिब्बों में बायो टॉयलेट लगाए हैं । डिब्बों में बायो टॉयलेट लगाने से संबंधी यह कार्य बांद्रा टर्मिनस, सूरत, इंदौर और भावनगर स्थित कोचिंग डिपो में किया जा रहा है । पश्चिम रेलवे के भावनगर मंडल का पोरबंदर-वासंजलिया और राजकोट मंडल का ओखा-कानालूस खंड को ग्रीन कॉरिडोर घोषित किया जा चुका है । इन कॉरिडोरों पर परिचालित होने वाली सभी गाड़ियों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं । पश्चिम रेलवे में अभी तक 1049 डिब्बों में बायो टैंक लगाए जा चुके हैं ।
ऊर्जा संरक्षण-
श्री भाकर ने कहा कि वृहद स्तर पर विभिन्न यात्री मित्रवत और ऊर्जा को संरक्षित करने वाले प्रयास किए जा रहे हैं। बेहतर और स्वच्छ वातावरण के लिए गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों को लगाया जा रहा है तथा रेल परिसर में जहाँ भी संभव है, वहाँ सोलर पैनल, पवन चक्की, वॉटर रिसायकलिंग प्लांट इत्यादि के जरिए ऊर्जा को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने ग्रीन एनर्जी पहल के तहत रुपए 75 लाख की लागत से चर्चगेट स्टेशन पर बने 100 किलोवाट पावर के सोलर पावर प्लांट सिस्टम का उद्घाटन किया है। इस सोलर प्लांट से प्रति वर्ष 1.4 लाख यूनिट बिजली ऊर्जा उत्पन्न होगी जिससे बिजली के बिल में अनुमानतः प्रति वर्ष 14 लाख की बचत होगी। पश्चिम रेलवे में वर्ष 2016-17 के दौरान स्टेशन भवन/ सर्विस बिल्डिंग/ समपार फाटकों की छतों पर 278.49 KWp क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए हैं इस प्रकार से अब कुल क्षमता 461 KWp हो गई है। इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में लोड में 2 प्रतिशत की अनुमानतः वृद्धि के बावजूद 8.57 मिलियन यूनिट (8.69 ) की कमी हुई है। पश्चिम रेलवे पर जहां कहीं संभव है वहां एलईडी लाइटें लगाई जा रही है। सिगनलिंग लैम्पों को एलईडी सिगनलों में बदला जा चुका है। रेलवे स्टेशनों और ईएमयू रैकों में एलईडी लाइटें लगाई जा रही हैं।
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