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दो माह कोमा में रहने के बाद वापस लौटा चीता, आतंकियों से मुठभेड़ में लगी थी 9 गोलियां


14 फरवरी को घायल होने के बाद चीता को श्रीनगर के मिलिट्री हॉस्पिटल में लाया गया। खून रोकने के लिए दवाईयां दी गईं, पर हालत खराब हो रही थी। इसलिए एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स लाया गया। चेतन के सिर, दाहिनी आंख, कमर, पैर, हाथ और पेल्विक रीजन में चोटें आई थीं। एम्स लाने के 24 घंटे के भीतर डॉक्टरों ने ब्रेन का ऑपरेशन किया। हालांकि चेतन के सिर में गोली नहीं लगी थी। लेकिन दिमाग पर पड़ने वाला खतरनाक इंट्रा क्रेनियल प्रेशर बढ़ता जा रहा था। ब्रेन में क्लॉट भी था, इसलिए ऑपरेशन जरूरी था। इंफेक्शन राेकने के लिए हैवी एंटीबायोटिक्स दी जाने लगी। 25 दिन कोमा में रहे। तब उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। 16 मार्च को वेंटिलेटर से हटाकर जनरल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जब सभी अंग स्थिर हुए तो डॉक्टरों की अलग-अलग टीमें चोटों पर काम करने लगीं। ऑर्थोपेडिक टीम ने पैरों के फ्रैक्चर का इलाज किया। ऑपथेल्मोलॉजिस्ट ने बायीं आंख बचा ली। पर दाहिनी आंख नहीं बचा पाए। इनके अलावा न्यूरोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन भी इलाज कर रहे थे। 19 मार्च को चेतन को पहली बार खाना दिया गया। एम्स के डॉक्टर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि ‘जब चेतन को दिल्ली लाया गया तो उनकी ग्लास्गो कोमा स्कोर (सिर की चोट की गंभीरता तय करने का टेस्ट) एम 3 था। वह कोमा में थे। अब यह एम 6 है। यह चमत्कार है। उनका दूसरा जन्म है। ऐसे में परिवार हिम्मत खो देता है। पर चेतन की प|ी पत्थर की तरह डटी रहीं।’ बुधवार को गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू भी चेतन से मिलने पहुंचे। उन्होंने चेतन से कहा- ‘आय वांट टू सी यू इन यूनीफॉर्म अगेन।’ 

मां ने टीका लगाकर की अगवानी... 
बच्चोंने फूलों से सजाया घर: नईदिल्ली के नजफगढ़ स्थित चीता के सरकारी आवास को बुधवार को फूलों से सजाया गया था। आठवीं क्लास में पढ़ने वाले उनके बेटे दुष्यंत पहली क्लास में पढ़ने वाली बेटी रेने ने पूरे घर को ऐसे सजा रखा था, जैसे दिवाली हो। जैसे ही शाम साढ़े 5 बजे एंबुलेंस घर के बाहर पहुंची तो पूरा मोहल्ला वहां जमा था। चीता एंबुलेंस से उतरे और पैदल चलकर घर तक पहुंचे। दरवाजे पर उनकी मां सुभद्रा ने टीका लगाकर उनकी अगवानी की। फिर दोनों बच्चे उनसे लिपट गए। असल में घटना के बाद से बच्चे उनसे सिर्फ एक बार मिले थे और उसमें भी चेतन से बातचीत नहीं हुई थी। 

और पत्नी बोलीं... 
कोमामें भी उंगली हिला इशारा कर देते थे: चेतनकी पत्नी उमा सिंह कहती हैं कि मैं जब श्रीनगर से एयर एम्बुलेंस में चेतन को लेकर दिल्ली रही थी, तब चेतन बेहोश थे। पर चलती सांसों ने हौसला दिया कि ये जरूर ठीक होकर बाहर आएंगे। चेतन बेहद टफ हैं और उन्हें फिटनेस का भी जुनून है। उनके लिए तो ये भी मददगार ही साबित हुआ। जब वो कोमा में थे तब भी जब मैं उनका हाथ पकड़ती तो उनकी उंगलियां हिल जाती थीं। तो लगता था कि ये जल्द ही ठीक हो जाएंगे। 

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