नोटबंदी के बाद के प्रभावों का कैग करेगा ऑडिट, होगा नोटबंदी के असर का आंकलन
कैग शशिकांत शर्मा ने रविवार को कहा कि हमारी योजना नोटबंदी के वित्तीय प्रभाव से संबंधित कुछ मुद्दों का आॅडिट करने की है।
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की योजना नोटबंदी के प्रभाव का आॅडिट करने और इसके सरकार के राजस्व पर पड़े असर का आकलन करने की है। कैग शशिकांत शर्मा ने रविवार को कहा कि हमारी योजना नोटबंदी के वित्तीय प्रभाव से संबंधित कुछ मुद्दों का आॅडिट करने की है। विशेष रूप से इसके कर राजस्व पर पड़ने वाले असर को लेकर। सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। पुराने नोटों में बेहिसाबी धन रखने वालों के लिए कर माफी योजना भी शुरू की। कैग के आॅडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान और बैंकिंग लेन-देन आंकड़ों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आॅडिटर नई वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर राजस्व का आॅडिट करने की भी तैयारी कर रहा है। उसने क्षमता निर्माण और अपने आॅडिट के तरीके व प्रक्रियाआें का पुनर्गठन भी शुरू किया है। कैग ने कृषि फसल योजना और बाढ़ नियंत्रण व बाढ़ अनुमान का आॅडिट पहले ही पूरा कर लिया है। अब वह शिक्षा के अधिकार, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, रक्षा पेंशन, गंगा पुनरोद्धार का आॅडिट कर रहा है। इनकी आॅडिट रिपोर्ट चालू साल के अंत तक तैयार हो जाएंगी। कैग ने सरकार को जीएसटी परिषद के शुरुआती मसौदे में धारा 65 को हटाने पर भी अपना रुख बता दिया है। इसके तहत कैग को जीएसटी के आॅडिट का अधिकार मिलता है। शशिकांत शर्मा ने कहा कि हमारे अधिकार के दायरे में पूर्व की किसी कराधान व्यवस्था की तरह जीएसटी भी आएगा। हमने जीएसटी लागू होने के बाद बाकी इस चुनौती से निपटने को अपनी राजस्व आॅडिट व्यवस्था के पुनर्गठन पर काम शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत क्षमता निर्माण, डाटा पहुंच व विश्लेषण, आॅडिट के तरीके और प्रक्रियाओं पर पुनर्गठन व एंड टु एंड सोल्यूशंस का विकास शामिल है।
उन्होंने कहा कि कैग के पास सरकार के राजस्व और व्यय से किसी तरह का संबंध रखने वाले निकाय या प्राधिकरणों के आॅडिट का अधिकार है। कई शहर विकास निकायों, डिस्कॉम और मेट्रो निगमों का इसको लेकर विरोध खत्म हो जाएगा। शर्मा ने साफ किया कि सरकारी, विधायी, न्यायिक और आॅडिट की भूमिकाएं और दायित्व पूरी तरह स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि कैग के सशक्तीकरण में किसी तरह की खामी नहीं है। लेकिन समय के साथ कामकाज के संचालन मॉडल में बदलाव आया है। कैग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दूरसंचार मामले में 2014 के फैसले से यह महत्त्वपूर्ण सिद्धांत एक बार फिर पुष्ट हुआ है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से जहां भी राजस्व सृजन के लिए सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा, कैग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह देखे कि सरकार को उस राजस्व में उसका समुचित हिस्सा मिल रहा है या नहीं।
उन्होंने कहा कि हर वह निकाय और प्राधिकरण, जिनका सरकार के राजस्व और खर्च से किसी भी तरह का संबंध है, कैग के आॅडिट के दायरे में आते हैं। शहरी विकास निकाय, बिजली वितरण कंपनियां और मेट्रो निगम कैग के आॅडिट का विरोध करते रहते हैं। उनका कहना है कि वे स्वायत्त निकाय हैं और उन्हें सरकार से किसी तरह का समर्थन नहीं मिल रहा है। शर्मा ने कहा कि समय के साथ चीजें ठीक हो जाएंगी और यह विरोध खत्म हो जाएगा।