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ओबीसी में नई जातियां जोड़ने के लिए अब लेना होगी संसद की मंजूरी, पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह बनेगा नया आयोग


मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (NSEBC) के गठन को मंजूरी दे दी गई. इस आयोग को संवैधानिक संस्था का दर्जा मिलेगा. इसके लिए सरकार संविधान में संशोधन करेगी.

क्या है राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 में बना था. यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू है. एक फरवरी 1993 से यह लागू है. इस आयोग का काम नागरिकों के किसी वर्ग की सूची में पिछड़े वर्ग के रूप में शामिल किए जाने के अनुरोधों की जांच करना है. साथ ही यह केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है जो उसे उचित लगता है.

आयोग को कुछ शक्तियां मिली हुई हैं जिनमें वह देश के किसी भी हिस्से से किसी व्यक्ति को समन करने और हाजिर कराने का अधिकार रखता है. किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने को भी आयोग कह सकता है. आयोग का एक अध्यक्ष होता है, जो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश होता है.

आयोग में अध्यक्ष के अलावा चार अन्य सदस्य होते हैं, जिनमें एक समाज विज्ञानी, पिछड़े वर्गों से संबंधित मामलों का विशेष ज्ञान रखने वाले दो व्यक्ति और एक भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं.

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