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मणिपुर में आर्थिक नाकाबंदी खत्म, नगा संगठन हुआ समझौते को तैयार


 

मणिपुर में नव-निर्वाचित बीजेपी सरकार को आज बहुमत के इम्तिहान से गुजरना है, लेकिन इससे ठीक पहले राज्य की चार महीने से चली आ रही अग्निपरीक्षा खत्म हो गई है. यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने बीती रात से मणिपुर की आर्थिक नाकाबंदी खत्म कर दी है.

बातचीत के बाद सहमति 
ये फैसला केंद्र, राज्य सरकार और नगा संगठनों के बीच लंबी बातचीत के बाद लिया गया. रविवार को बातचीत खत्म होने के बाद सभी पक्षों का साझा बयान जारी हुआ. बयान के मुताबिक यूएनसी के गिरफ्तार नेता बिना शर्त रिहा किये जाएंगे और नगा कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस होंगे. बयान पर केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग, मणिपुर के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) जे. सुरेश बाबू, आयुक्त (निर्माण) राधाकुमार सिंह, यूएनसी के महासचिव एस. मिलन और ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सेठ शतसंग ने हस्ताक्षर किए. इससे पहले 7 फरवरी को इसी तरह की बातचीत बेनतीजा खत्म हुई थी.

राज्यपाल, सीएम ने जताई खुशी
नाकाबंदी खत्म होने को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के लिए कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. समझौते के बाद उन्होंने कहा कि नाकाबंदी मणिपुर के विकास का आगाज भर है. उनकी सरकार पीएम मोदी के किये वायदों को पूरा करने की हर कोशिश कर रही है. वहीं, राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने उम्मीद जताई कि नाकाबंदी खत्म होने के बाद राज्य में शांति और खुशहाली आएगी.

क्यों हुई थी नाकाबंदी? 
नगा संगठनों ने 1 नवंबर, 2016 से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 जाम कर रखे थे. ये संगठन मणिपुर के नगा आबादी वाले इलाकों में 7 नये जिले बनाने का विरोध कर रहे थे. ये फैसला इबोबी सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने लिया था. आर्थिक नाकाबंदी के चलते मणिपुर में आवश्यक चीजों की किल्लत बढ़ गई थी. 

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