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मेटरनिटी लीव बिल पास, 12 हफ्ते से बढ़का 26 हफ्ते हुई समय सीमा


भारत में कामकाजी महिलाओं की मैटरनिटी लीव को 12 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते किए जाने के प्रस्ताव को संसद ने मंज़ूरी दे दी है. इसके बाद इसे क़ानून बनाए जाने की
गुरुवार को लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया. ये विधेयक राज्यसभा में पहले ही पास हो चुका है.

इससे संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली करीब 18 लाख महिलाओं को फ़ायदा मिलेगा.

मैटरनिटी बेनिफ़िट (संशोधित) 2016 की मुख्य बातें
पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिल सकेगी, जो पहले 12 हफ्ते थी.

तीसरे या इससे ज्यादा बच्चों के लिए 12 हफ्ते की छुट्टी का ही प्रावधान रहेगा.
तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली या सेरोगेट माँओं को भी 12 हफ़्ते की छुट्टी दी जाएगी.

50 से ज़्यादा कर्मचारियों वाले दफ्तर के आसपास क्रेच का इंतज़ाम करना होना, जहां माँएं काम के घंटों के दौरान चार बार अपने बच्चे से मिलने जा सकेंगीं.

अगर संभव हो तो कंपनी महिलाओं को घर से ही काम करने की अनुमति दे सकती है.
हर प्रतिष्ठान को उनकी नियुक्ति के समय से महिलाओं को इन लाभों को देना होगा.

पिछले साल अगस्त में राज्य सभा में बिल पास होने के बाद केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया था कि बिल के कानून बनने के बाद गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली छुट्टी के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगा.

भारत से ज्यादा छुट्टी सिर्फ कनाडा और नॉर्वे में दी जाती है. कनाडा में 50 हफ्ते और नॉर्वे में 44 हफ्ते का अवकाश मिलता है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने देश की लाखों महिलाओं मांग को उठाने और राज्यसभा और लोकसभा में में बिल को पेश करने के लिए श्रम और रोज़गार मंत्री बंदारू दत्तात्रेय को धन्यवाद दिया.

मेनका गांधी ने उन महिलाओं को बधाई दी जो बच्चे के जन्म की योजना बना रही हैं और कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम जारी रखेगा.

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