UN में स्थायी सदस्यता के लिए भारत ‘वीटो पॉवर’ छोड़ सकता हैं !
संयुक्त राष्ट्र सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत भारत और जी4 के अन्य देशों ने कहा है कि वे सुधार के लिए नवोन्मेषी विचारों के लिए तैयार हैं और स्थाई सदस्य के तौर पर तब तक वीटो का अधिकार नहीं होने के विकल्प को लिए भी तैयार हैं जब तक इस बारे में कोई फैसला नहीं हो जाता।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने बुधवार को अंतर सरकारी वार्ता बैठक में एक संयुक्त बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए बड़ी संख्या में संरा सदस्य देश स्थाई और अस्थाई सदस्यता के विस्तार का समर्थन करते हैं।
जी—4 में भारत के अलावा ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं।
वीटो के मुद्दे पर अकबरूद्दीन ने कहा कि वीटो के सवाल पर कई लोगों ने अलग—अलग नजरिए से गौर किया, लेकिन जी—4 का रूख यह है कि वीटो कोई समस्या (नए स्थायी सदस्यों को तत्काल देने के संदर्भ में) नहीं है, लेकिन समस्या अवरोधों का प्रावधान करने को लेकर है।
जी—4 ने एक बयान में कहा, हमारा रूख इसी भावना के अनुरूप है। नए स्थायी सदस्यों के पास सैद्धांतिक तौर पर वो सभी जिम्मेदारियां और बाध्यताएं होंगी, जो मौजूदा समय के स्थायी सदस्यों के पास है, हालांकि नए सदस्य वीटो का उपयोग तब तक नहीं करेंगे जब तक समीक्षा के दौरान कोई फैसला नहीं हो जाता।
इस समूह ने कहा कि वीटो का मुद्दा अहम है, लेकिन सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया पर वीटो नहीं होने देना चाहिए।
जी4 देशों के बयान में कहा गया, इस बात से अवगत हैं कि आगे बढ़ने के लिए कोई दूसरा तरीका नहीं है लेकिन इसके साथ ही हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए नए विचारों का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह दुभार्ग्यपूर्ण है कि अभी तक उन्हें कोई प्रगतिशील विचार सुनने को नहीं मिला है और कुछ देश पुराने ठुकराए गए विचारों को दोबारा पेश कर रहे हैं।
बयान में कहा गया कि उनका मानना है कि सुरक्षा परिषद में स्थाई और गैर स्थाई सदस्यों के बीच प्रभाव का असंतुलन है और गैर स्थाई श्रेणी में विस्तार करने भर से समस्या हल नहीं होगी। बयान में आगे कहा गया है, वास्तव में यह स्थाई और गैर स्थाई सदस्यों के बीच अंतर को और गहरा करेगा।
वीटो के मुद्दे पर जी4 ने कहा, उनका मानना है कि प्रतिबंध लाने पर—वीटो का मामला मात्रात्मक न हो कर गुणवत्ता का है।