सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग के लिये सोशल ऑडिट जरूरी
सहकारिता, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग ने कहा है कि सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग हो, यह एक बड़ी चुनौती है। यह मीडिया जिम्मेदार बने और इसका उपयोग जन-हित में हो, इसके लिये सोशल ऑडिट की व्यवस्था सबकी सहमति से की जाना जरूरी है। श्री सारंग आज भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान में 'सोशल मीडिया-अवसर और चुनौतियाँ'' विषय पर बोल रहे थे।
राज्य मंत्री श्री सारंग ने कहा कि सोशल मीडिया की शुरूआत एक सकारात्मक उद्देश्य के साथ आपस में बेहतर संवाद के लिये हुई। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारा अधिकार जरूर है, लेकिन इसके साथ हमारी जिम्मेदारियाँ भी जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया में नकारात्मकता का भी प्रवेश हो गया है। इस स्वस्थ माध्यम के जरिये नीचा दिखाने के भी प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस माध्यम का उपयोग करने में अनुशासन और संयम की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिये जरूरी है कि हम व्यक्ति का निर्माण करें, जो पिछले 70 साल में नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का निर्माण यदि होगा, तो हम न केवल सोशल मीडिया, बल्कि हर क्षेत्र में स्वस्थ मानसिकता के साथ विचार प्रक्रिया की स्थापना कर सकेंगे।
श्री सारंग ने कहा कि आजादी के पूर्व नेता शब्द गौरव और सम्मान का प्रतीक था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाषचन्द्र बोस को नेताजी का खिताब जनता द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में हम लोगों के कारण विकार न आने पायें और संवाद के इस जीवंत माध्यम का दुरुपयोग न हो, इसके लिये समाज को ही आचार संहिता बनाना होगी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग हो, नई पीढ़ी प्रशिक्षित हो, इसके लिये पाठ्यक्रम में यह विषय रहे, इस पर सरकार विचार करेगी।
मुख्य वक्ता राज्यसभा टी.व्ही. के कार्यकारी निदेशक श्री राजेश बादल ने कहा कि सोशल मीडिया के अच्छे और बुरे दोनों पक्ष हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम इसका उपयोग किन संदर्भों में और कैसे करें, इसके लिये लोगों में जागरूकता लायें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जितने भी माध्यम हैं, वे पश्चिम की देन हैं। वहाँ के बिखरे समाज में संवाद स्थापित करने के लिये इसकी शुरूआत की गयी। उन्होंने कहा कि भारतीय संदर्भ में अगर हम देखें, तो आज भी हमारे यहाँ समाज में एक-दूसरे के समक्ष सुख-दु:ख में शामिल होने की परम्परा है। उन्होंने कहा कि बढ़ते हुए भौतिकवाद में जो दूरी आयी है, विशेषकर मेट्रो शहरों में, वहाँ के लिये सोशल मीडिया उपयोगी है, लेकिन इसका उपयोग सौहार्द, सदभाव, संबंधों और सूचनाओं के आदान-प्रदान तक हो तो यह हमारे लिये वरदान है। इसके जरिये हम अपनी जड़ों से भी जुड़ते हैं, लेकिन दूसरों के यश को मारने का काम करे, तो यह माध्यम खतरनाक भी हो सकता है। उन्होंने इसके लिये लोगों को सजग और सतर्क करने के लिये शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
डायरेक्टर रिसर्च एण्ड स्ट्रेटेजिक प्लानिंग जॉन्स हॉपकिन्स वुनवर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ श्री प्रदीप कृष्णात्रे ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि जिस युग में आज हम रह रहे हैं, उसमें आगे बढ़ने में टेक्नालॉजी का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि कम्युनिकेशन के क्षेत्र में उपकरण बड़े से इतने छोटे हो गये हैं कि अब हम उन्हें अपने साथ में लेकर संवाद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का समाज में व्यापक प्रभाव पड़ा है और इसने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में मूलभूत परिवर्तन किया है। उन्होंने कहा कि आज यह माध्यम लोगों के जीवन में इस तरह जरूरी हो गये हैं कि अगर इनका उपयोग न करें, तो हम पिछड़ते जायेंगे। जिस तेजी से सोशल मीडिया का विकास हो रहा है, उसके परिणाम क्या होंगे यह अभी भविष्य की गर्त में है। उन्होंने कहा कि फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्स-एप सहित अन्य माध्यमों की लोकप्रियता जिस तेजी से बढ़ी है, वह एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि यह माध्यम बिछड़े हुए लोगों के बीच व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध स्थापित करने का माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ता सोशल मीडिया हमारे जीवन को किस तरह प्रभावित करे, इसकी लाइन खुद हमें तय करना होगी।
राज्य मंत्री श्री सारंग ने इस मौके पर युवा पत्रकार श्री अर्जुन रिछारिया को भुवन भूषण देवलिया सम्मान से अलंकृत किया। एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। अतिथियों को स्मृति-चिन्ह के साथ तुलसी का पौधा भी भेंट किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री कमल दीक्षित, सुश्री देवेन्दर कौर उप्पल और बड़ी संख्या में पत्रकार तथा प्रबुद्धजन उपस्थित थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री शिव अनुराग पटेरिया ने आयोजन की रूपरेखा की जानकारी दी।
मनोज पाठक