संत रविदास जी का जीवन पाठ स्कूली पाठ्यक्रम में होगा शामिल
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संत रविदास जी के जीवन पर आधारित पाठ स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्ष में अनुसूचित-जाति के विकास और कल्याण पर 50 हजार करोड़ खर्च किये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज सागर में संत श्री रविदास महाकुंभ को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बजट में इस साल अनुसूचित-जाति के कल्याण पर 16 हजार 381 करोड़ का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि अगले दो साल में शहरी क्षेत्र में 5 लाख और ग्रामीण क्षेत्र में 10 लाख मकान बनाकर गरीबों को दिये जायेंगे। सागर जिले में 40 हजार मकान इसी वर्ष बनेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर व्यक्ति को रहने के लिये जमीन और घर उपलब्ध करवाये जायेंगे। जो जहाँ रह रहा है, उसे वहाँ का पट्टा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अनुसूचित-जाति वर्ग के छात्र-छात्राओं को शिक्षण के लिये पर्याप्त व्यवस्थाएँ सरकार ने की हैं। छात्रवृत्ति के साथ छात्रावास और आश्रम भी बनाये गये हैं। विदेशों में अध्ययन के लिये विद्यार्थियों का शिक्षण शुल्क भी सरकार भर रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी अनुसूचित-जाति का विद्यार्थी धन की कमी के कारण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि 10 संभाग में ज्ञानोदय विद्यालय खोले गये हैं। दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग में प्रवेश लेने पर रहने की व्यवस्था भी सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संत रविदास के व्यक्तित्व और कृतित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि वे सभी समाज के संत हैं। वे सामाजिक परिवर्तन के वाहक हैं। उनका जीवन हम सभी के लिये अनुकरणीय है। श्री चौहान ने इस मौके पर सागर जिले की कड़ान मध्यम सिंचाई परियोजना और मकरोनिया में महाविद्यालय खोलने की घोषणा की।
सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि पहली बार है कि राज्य सरकार ने संत रविदास महाकुंभ का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि गरीबों के लिये यह सरकार निरंतर काम कर रही है।
समारोह में वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव, गृह मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, श्री सत्यनारायण जटिया, डॉ. वीरेन्द्र कुमार, विधायक श्री शैलेन्द्र जैन, श्री हरवंश सिंह राठौर, श्रीमती पारुल साहू और श्री महेश राय उपस्थित थे।
महेश दुबे