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54 साल बाद चीनी सैनिक वांग छी रखेंगे अपनी सरजमीं पर कदम


77 साल के वांग छी ने आज तड़के करीब 3 बजे चीन के लिए उड़ान भरी. इससे पहले दिल्ली में चीनी दूतावास में उन्हें सम्मानित किया गया. वो पिछले चार दशकों से ज्यादा वक्त से मध्य प्रदेश के तिरोड़ी गांव में रह रहे थे.

वांग छी के साथ उनके बेटे और बेटी भी चीन गए.  वांग छी से जब पूछा गया कि वो तिरोड़ी गांव के लोगों से क्या कहेंगे तो उन्होंने कहा, "तुम लोग अफ़सोस मत करो, मैं बिल्कुल वापस आ जाउंगा. मैं अपनी जन्मभूमि देखकर वापस आ जाउंगा. वहां जाकर मुझे संतोष और ख़ुशी मिलेगा."

नहीं भूली अपनी मिट्टी की याद
वांग छी का दावा है कि वो 1963 में गलती से भारत की सीमा के भीतर घुसे थे. हालांकि भारत में अधिकारी उन्हें चीनी सेना का जासूस मानते आए हैं. भारत में घुसने के बाद वो पकड़े गए और 6-7 साल की सजा काटने के बाद उन्हें तिरोड़ी गांव में छोड़ दिया गया. यहां उन्होंने आटे की चक्की में काम करना शुरू किया. 1975 में वांग ने भारतीय महिला से शादी की. 80 के दशक में पहली बार वो पत्रों के जरिये चीन में अपने परिवार के संपर्क में आए. 2002 में उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की थी.

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद थी कि वो कभी चीन जा पाएंगे? वांग छी ने कहा, "मैंने इंदिरा गांधी के समय दरख़्वास्त की थी कि या तो मुझे चीन भेज दो या भारत का नागरिक बना दो. मैंने हज़ारों अर्ज़िया लगाईं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. मैंने हाई कोर्ट में केस भी किया. चीन के राजदूत से संपर्क भी किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली."

आप चीन के पासपोर्ट के साथ जा रहे हैं, अब वापस कैसे लौटेंगे? इस पर वांग ने कहा, "भारत सरकार ने जाने की परमिशन दी है और कहा है कि तुम्हारा जाना ख़ुशी की बात है. तुम जा सकते है और आ सकते हो और आने के बाद फिर जा सकते हो."

जब उनसे पूछा गया कि आप अपनी पत्नी सुशीला को क्यों नहीं ले जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, "उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं है, हवाई जहाज़ में नहीं बैठ सकती हैं."
भारत के लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा, "मेरी जाने की इच्छा नहीं है. मुझे उस जगह से प्रेम हो गया है. सब भाई-बहन जैसे हैं. लेकिन वहां भी मेरे भाई-बहन है. मां-पिता तो गुज़र गए. अब चाहता हूं कि भाई-बहनों से ही एक बार मिल लूं."

वांग छी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी शुक्रिया अदा किया. राज्यसभा सांसद तरुण विजय वांग छी से मिलने एयरपोर्ट पहुंचे थे.

उन्होंने कहा, "इससे बढ़कर दुनिया में मानवीय मूल्यों की कोई विजय नहीं हो सकती. ये भारत-चीन संबंधों में मैत्री की सर्वश्रेष्ठ कथा है. मैं इन्हें भारतीय जनता की ओर से शुभकामनाएं देने आया हूं. ये एक महान घर वापसी है. इसकी सुगंध हमेशा भारत-चीन संबंधों में रहेगी."
वांग छी ने कहा कि मैं चीन एयरपोर्ट पहुंचते ही अपनी भाषा में बात करूंगा.

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