नगर निगम को भाजपा की इकाई मत बनाओ, नगर उदय अभियान का भाजपाईकरण करने पर बिफरे कांग्रेसी पार्षद
उज्जैन। नगर उदय अभियान आयोजन का भाजपाईकरण करने के विरोध में कांग्रेसी पार्षदों ने निगम कमिश्नर के सामने आक्रोश व्यक्त किया। भाजपा की दलाली करने के आरोप लगाते हुए कांग्रेसी पार्षदों ने निगम कमिश्नर से कहा कि जिस आयोजन के आप निवेदक हो उसके अतिथि भाजपा के नगर अध्यक्ष और भाजपा के पदाधिकारी कैसे। पार्षदों ने निगम कमिश्नर से सख्त लहजे मेंं कहा कि नगर निगम को भाजपा की इकाई मत बनाओ।
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के नेतृत्व में गुरूवार दोपहर कांग्रेसी पार्षद नारेबाजी करते हुए निगम कमिश्नर आशीष सिंह के कक्ष में पहुंचे। वशिष्ठ के अनुसार नगर उदय अभियान कार्यक्रम के आमंत्रण देखने पर लगा कि कार्यक्रम नगर निगम का न होकर भाजपा का कार्यक्रम है। निवेदक में आयुक्त का नाम लेकिन अन्य अतिथियों में भाजपा के अध्यक्ष इकबालसिंह गांधी एवं अन्य पदाधिकारियों के नाम दिये गये थे। नगर निगम भारतीय जनता पार्टी की इकाई के रूप में कार्य कर रही है। नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है फिर भी फिजूल खर्ची के नाम पर राजनैतिक कार्यक्रम किये जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ पहुंचे पार्षद माया त्रिवेदी, आत्माराम मालवीय, रहीम शाह लाला, जफर एहमद सिद्दीकी, मीना तिलकर, हेमलता कुवाल, रेखा गेहलोत, सपना सांखला, गुलनाज खान, हिम्मतलाल देवड़ा ने निगम कमिश्नर से कहा कि जिन उद्देश्यों को लेकर सरकार द्वारा नगर उदय अभियान का आयोजन किया गया वह केवल खानापूर्ति भर रहा न तो नगर उदय अभियान व्यवस्थित वार्डों में चला ना ही उस अभियान से शासन की प्रत्येक योजनाओं का हितग्राही को लाभ मिला जबकि माली हालत खराब होने पर लाखों रूपये व्यय किये जाने का क्या औचित्य था।
कांग्रेसी पार्षदों को आमंत्रण देने में भी कोताही
8 जनवरी को हुए नगर उदय अभियान कार्यक्रम के आमंत्रण 7 जनवरी को कांग्रेस पार्षद दल कार्यालय में सभी पार्षदों के आमंत्रण एक साथ शाम 5 बजे वहीं पटक दिये गये। शाम 5 बजे से पहले ही पार्षद कार्यालय से जा चुके थे। जिस कारण कांग्रेसी पार्षदों को आमंत्रण की जानकारी ही नहीं लग सकी। वशिष्ठ ने कहा कि यह पहली बार हुआ है जब कांग्रेसी पार्षदों को कार्यक्रम के आमंत्रण तक देने में कोताही बरती गई।
केवल 5 प्रतिशत योजनाओं का दिलाया लाभ
नगर उदय अभियान में संचालित योजनाओं में से केवल पांच प्रतिशत योजनाओं का लाभ दिलाया गया और वो भी 100 से अधिक हितग्राहियों को नहीं मिला। केवल प्रधानमंत्री आवास योजना और बालिकाओं से संबंधित योजनाओं के नाम पर लोगों को इकट्ठा किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना में जो अधिकार पत्र दिए गए हैं उसकी वैधानिकता नहीं है। अवैधानिक अधिकार पत्र दिए गए हैं जिसके कारण इस योजना में भ्रष्टाचार और बढ़ेगा। गरीबी रेखा की सूचि में अधिकारियों द्वारा गरीब परिवारों की वास्तविक स्थिति देखने के बाद भी एक भी गरिब परिवार को इसका लाभ नहीं दिया गया और सारे आवेदन पत्र नस्तीबध्द कर दिए गए। पार्षदों को उनके वार्ड में योजनाओं के पात्र और अपात्र परिवारों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई।