डॉ. अम्बेडकर पीठ का 16वां स्थापना दिवस मनाया गया
उज्जैन । विक्रम विवि की डॉ. अम्बेडकर पीठ में 4 फरवरी को पीठ का 16वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर ‘समता मूलक समाज की स्थापना में अम्बेडकर वाद का योगदान’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी।
डॉ. अम्बेडकर पीठ के आचार्य शैलेन्द्र पाराशर ने स्वागत भाषण, पीठ की गतिविधियों का पंद्रह वर्षां का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुतिकरण एवं परिचर्चा के विषय पर्वतन एवं डॉ. अम्बेडकर पीठ ने अपनी स्थापना से वर्तमान तक किये गये शोधकार्य, शोध परियोजनाऐं, शोध संगोष्ठियों में हिस्सेदारियां, प्रकाशन, विक्रम विश्वविद्यालय परिक्षेत्र में डॉ. अम्बेडकर अध्ययन केंद्रों की स्थापना बौद्धिक विमर्शां में वैचारिक हिस्सेदारी राष्ट्रीय संगोष्ठियां एवं व्याख्यान आदि की पी.पी.टी. के माध्यम से रेखांकित किया।
मुख्य अतिथि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विवि, महू के संकायाध्यक्ष व अ.जा./अ.ज.जा. विभाग के अध्यक्ष समाज वैज्ञानिक प्रो. डी.के. वर्मा ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर पीठ की स्थापना से वर्तमान तक किये गये कार्य उपलब्धियां एवं सक्रिय प्रयास पशंसनीय है। अम्बेडकरवार विषय केंद्रित यह पीठ अपने उद्देश्यों के अनुकूल कार्यरत है। वर्तमान में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों को पाठ्यक्रमो में सम्मिलित करने की आवश्यकता हैं।
विक्रम विवि की भौतिकशास्त्र अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं आचार्य संजय घोष ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि समाज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है। समता मूलक समाज की स्थापना के लिए समरसता की आवश्यकता है। भारतीय संविधान में समता मूलक समाज की स्थापना के जो प्रावधान किये गये हैं, इसमें डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि संभागीय जनसंपर्क कार्यालय, उज्जैन के उपसंचालक श्री पंकज मित्तल ने कहा कि समता मूलक समाज की स्थापना के लिए समाज से आपसी कटुता, वैमनस्य एवं वैचारिक दूरियों को कम करना चाहिए।
हिन्दी अध्ययनशाला की अध्यक्ष अतिथि वक्ता आचार्य प्रेमलता चुटैल ने कहा कि वर्तमान समय में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समाज में व्याप्त असमानताओं, विषमताओं एवं विसंगतियों को समाप्त करना आवश्यक है। देश की युवा पीढ़ी समता मूलक समाज की स्थापना में अपना योगदान दें। डॉ. अम्बेडकर पीठ ने अपनी पंद्रह वर्षां की विकास यात्रा में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की है, इसके लिए वे साधुवाद के पात्र है।
प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं आचार्य डॉ.आर.के. अहिरवार ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के समता मूलक समाज की स्थापना के विचारों का समाज में प्रचार प्रसार एवं सम्प्रेषण होना आवश्यक है। डॉ. अम्बेडकर पीठ अपने उद्देश्यों के अनुकूल कार्यरत है।
समाजशास्त्र अध्ययनशाला की अध्यक्ष डॉ. ज्योति उपाध्याय ने डॉ. अम्बेडकर पीठ के स्थापना से वर्तमान के कार्यां को दृष्टिगत रखते हुए किये गये प्रयासों की प्रशंसा की। समाज में वैचारिकी के माध्यम से परिवर्तन होता है। समता मूलक समाज की स्थापना के लिए समाज में व्याप्त विभिन्न असमानताऐं समाप्त होना आवश्यक है। इस अवसर पर प्रो. तपन चौरे, डॉ. मनु गौराहा, डॉ. मनीषा चौरे, श्रीमती शकुन्तला आदि ने सहभागिता की।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की तस्वीर पर अतिथियों एवं उपस्थितजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर किया। कार्यक्रम का संचालन शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया एवं आभार डॉ. शैलेन्द्र पाराशर ने माना।