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मंदिरों के लिए बन रहा विधेयक प्रजातांत्रिक वेलफेयर स्टेट की भावना के अनुकूल हो



अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने मुख्यमंत्री, विधि मंत्री, वित्त मंत्री, राजस्व मंत्री एवं राज्य मंत्री को भेजा ज्ञापन

उज्जैन। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के चार मंदिर महाकालेश्वर, इंदौर के खजराना, ओरछा के राजाराम मंदिर और सतना का मैहर माताजी का मंदिर के लिए विधेयक बनाने एवं प्रस्ताव तैयार करने संबंधी गठन की जानकारी लगने के बाद अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री, विधि मंत्री, वित्त मंत्री, राजस्व मंत्री एवं राज्य मंत्री को फैक्स एवं स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजा है। जिसमें मांग की है कि विधेयक प्रजातांत्रिक वेलफेयर स्टेट की भावना के अनुकूल हो। 
महासंघ के संयोजक महेश पुजारी के अनुसार इस विषय को लेकर संतों एवं पुजारियों के समस्त संगठन द्वारा इंदौर में एक बैठक आयोजित की गई है जिसका नेतृत्व कम्प्यूटर बाबा करेंगे एवं इसमें संत समिति के राधे-राधे बाबा एवं पुजारी उत्थान समिति के अनेक सदस्य भाग लेंगे एवं चारों मंदिर के विधेयक लाने में मंदिर की परंपरा, पूजा पध्दति, संत एवं पुजारियों की प्रचलित परंपरा एवं सनातन धर्म की हिंदू समाज को इन विधेयक से क्या लाभ-हानि होगी इस पर चिंतन कर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। 

महेश पुजारी के अनुसार ज्ञापन में कहा है कि विधेयक बनाने का काम शासन का है लेकिन शासन की भावना प्रजातांत्रिक वेलफेयर स्टेट की भावना के अनुकूल हो। पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो। विधेयक के प्रस्ताव में देवस्थानों एवं उनकी संपत्तियों सहित पुजारियों एवं संतो ंके हितों को ध्यान में रखा जाए। जेसे संतों की शिष्य परंपरा, पुजारियों की वंश परंपरा पर ध्यान दिया जाना चाहिये। धर्मस्व विभाग के कार्यकारी आदेश (ऐजेकेटीव आई.सी.) द्वारा की जा रही है उसे उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालयों ने निरस्त कर दिया है। प्रदेश के प्रचलित अधिनियम पूर्व रियासतों से किये गये अनुबंध प्रभावशील हैं। इसलिए इस विधेयक में सदियों पुरानी प्रचलित परंपराएं जो विधि का स्वरूप रखती है। भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 का अवलोकन किया जाना भी आवश्यक है। मंदिरों का विधेयक न्यायपूर्ण होगा। 

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