राष्ट्रीय पुष्प प्रदर्शनी संगोष्ठी में जानी किसानों ने फूलों की उन्नत खेती की तकनीक
उज्जैन । उज्जैन में चल रही राष्ट्रीय पुष्प प्रदर्शनी में किसानों को फूलों की विविध किस्मों के अवलोकन का मौका तो मिला ही है, साथ ही स्थल पर जारी संगोष्ठियों में फूलों की खेती की उन्नत तकनीक भी सीखने को मिल रही है। उज्जैन के अलावा अन्य स्थानों से आये पुष्प वैज्ञानिक किसानों को फूलों के इतिहास से लेकर उनकी विविधता, परम्परागत एवं हाइब्रिड वैरायटी, उत्पादन, विभिन्न कीटव्याधियों का उपचार और बाजार व मार्केटिंग की भी अत्यन्त उपयोगी जानकारी दे रहे हैं।
स्थानीय विक्रम कीर्ति मन्दिर के सभाकक्ष में चल रही संगोष्ठी में किसानों को खुले तापमान तथा नियंत्रित तापमान (पॉली हाउस खेती) में फूलों की खेती किस प्रकार की जाये, इसकी विस्तृत जानकारी शुक्रवार को दी गई। संगोष्ठी में खासतौर पर गुलाब की खेती के बारे में बहुउपयोगी जानकारी देते हुए बताया गया कि आज के दौर में गुलाब की खेती किसानों को खेती में कई गुना मुनाफा दे रही है। गुलाब के विभिन्न आकारों उनकी बुवाई और विभिन्न कीटव्याधियों में कीटनाशकों के इस्तेमाल की जानकारी देते हुए पुष्प वैज्ञानिक डॉ.कौशिक ने बताया कि गुलाब के बेहतर उत्पादन के लिये उनको 15 से 25 डिग्री तापमान में लगाया जाना उचित होगा। पॉली हाउस फार्मिंग की उपयोगिता निरूपित करते हुए बताया कि इस खेती में कीटाणु और बीमारियों का अन्देशा 70 प्रतिशत कम हो जाता है। फूलों की क्वालिटी सबसे अच्छी होती है। उन्होंने गुलाब के विभिन्न बायोलॉजिकल ग्रुप जैसे- पॉलीबंडा, हाइब्रिड टी इत्यादि की विस्तृत जानकारी दी।
इन्दौर से आये मालवा रोज सोसायटी के सचिव डॉ.अरूण सराफ ने बताया कि आज गुलाब की हजारों वैरायटी विश्व में उपलब्ध है। सर्वाधिक मांग वाले डच वैरायटी के फूलों के उत्पादन के लिये पौधे 30 डिग्री तापमान पर लगाये जाना चाहिये। दस से 15 दिनों मे कीटनाशक का एक स्प्रे अवश्य करें। इससे माइट्स और फंगस जैसी बीमारियां नियंत्रित रहती हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 18-19 फरवरी को इन्दौर के गांधी हॉल में भी राष्ट्रीय स्तर की पुष्प प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस दौरान फूलों की खेती उत्पादन व तकनीक के साथ मार्केटिंग के बारे में भी जानकारी दी जायेगी।
ग्वालियर के डॉ.अनुज कुमार ने अपने उद्बोधन में पुष्प उत्पादन की उन्नत तकनीकों की जानकारी देते हुए बताया कि जैसे-जैसे हमारी क्रय क्षमता में वृद्धि होती जा रही है, वैसे ही फूलों में मांग भी बढ़ती जा रही है। किसान फूलों की खेती द्वारा अधिकाधिक सम्पन्नता प्राप्त कर सकते हैं। जरूरत है इसकी खेती के उन्नत तरीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अंगीकार करने की। किसान विभिन्न माध्यमों से उन्नत फूलों की खेती के सम्बन्ध में सतत जानकारी लेते हुए अग्रसर हों। उन्होंने फूलों की विभिन्न किस्मों तथा उनके वृहद उत्पादन के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। मंदसौर के डॉ.कुशवाह ने भी संगोष्ठी में उपयोगी जानकारी प्रदान की। संगोष्ठी में उन्नत खेती के बारे में अन्य फसलों पर भी उपयोगी जानकारी दी गई। कृषि विज्ञानी डॉ.आरपी शर्मा ने रासायनिक खाद के संयमित उपयोग व नरवई न जलाने की सलाह दी। संगोष्ठी में जिले तथा आसपास के जिलों के बड़ी संख्या में किसान सम्मिलित होकर लाभ प्राप्त कर रहे हैं।